हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने एक शोध में पाया गया है कि आमतौर पर प्रौढ़ मरीजों को महिला डाक्टरों से ज्यादा अच्छा इलाज मिलता है. उन्हें गंभीर बीमारियों में भी अपेक्षाकृत कम बार अस्पताल आना पड़ता है और बीमारियों का अंत मृत्यु में कम होता है. चूंकि महिला और पुरुष डाक्टर एकसाथ पढ़ते हैं, उन की ट्रेनिंग एकसाथ होती है, वे एकसाथ अस्पतालों में काम करते हैं, इसलिए इस नतीजे ने शोध करने वालों को चौंकाया था.

हालांकि स्वास्थ्य सुधार का यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं है पर इतना अवश्य साबित करता है कि महिला डाक्टर एक तो अपने कार्य के प्रति ज्यादा गंभीर होती हैं और साथ ही, मरीजों की समस्याओं को वे आसानी से समझ लेती हैं. अगर अमेरिका में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या से इस फर्क को देखा जाए तो 32 हजार जानें बच सकती थीं अगर सभी डाक्टर महिलाएं होतीं.

यह स्वाभाविक भी लगता है क्योंकि लाखों वर्षों से प्रकृति ने औरतों को ही शिशुओं के दुखदर्द को बिना कहे जानने की कला सिखा दी है और पहली बार मां बनने वाली औरत भी जानती है कि उस का बच्चा कब, क्यों परेशान है या क्या चाहता है.

पुरुष डाक्टर इस दंभ में रहते हैं कि जब तक उन से बताया न जाए, वे मरीज का दर्द समझने की कोशिश नहीं करेंगे. यही नहीं, महिला डाक्टर अपने काम में शौर्टकट रूट नहीं अपनातीं. यह शायद इसलिए है कि महिलाओं को खाना पकाने में शौर्टकट काम करने के दुर्गुणों का असर मालूम होता है. पुरुष आमतौर पर समूहों में काम करते हैं और एक की कमी को दूसरा ठीक कर देता है. पुरुष डाक्टर ज्यादा मैकेनिकल भी होते हैं, वे सोचते हैं कि इस दुनिया में हर पल संघर्ष होता ही है और मृत्यु कोई अचरज नहीं. इसी कारण हजारों सालों से युद्घ की कला का विकास पुरुषों ने किया है, औरतें तो युद्ध की शिकार होती हैं चाहे वे विजयी पक्ष की हों या पराजयी पक्ष की.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...