घर में गेस्ट का आना आम बात है, पहले के टाइम में लोगों के घर में अक्सर मेहमानों का आनाजाना लगा रहता था, लेकिन आज के समय में लोग इतने बिजी हो गए हैं कि न किसी के पास मेजबानी का टाइम है और न मेहमान बनकर कहीं जाने का... अगर आजकल कोई गेस्ट आता भी है, तो वह अपने मोबाइल में खोए रहता है, यहां तक कि मेजबानी करने वाले लोग भी मोबाइल, लैपटौप और टीवी में लगे रहते हैं.

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मोबाइल के जमाने का फंक्शन

झनक की इंगेजमेंट होने वाली थी हालांकि घर में फंक्शन के 2-3 दिन पहले से ही मेहमानों का आना लगा हुआ था. खाने का इंतजाम होटल में किया गया था और गेस्ट के लिए कमरे बुक किए गए थे. मैं कुछ मेहमानों के कमरों में उनसे मिलने गई थी. मैंने वहां नोटिस किया कि सभी अपने फोन में लगे हुए थे. वहां किसी को भी किसी से बात करने में दिलचस्पी नहीं थी. यहां तक कि जो वहां मेजबानी कर रहा था उसे भी गेस्ट से हालचाल पूछने या उनको किसी चीज की दिक्कत तो नहीं है, ये भी पूछने का समय नहीं था.. मैं सोच रही थी अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आजकल फंक्शन भी प्राइवेट होंगे. खैर ये तो रही फंक्शन की बात, जहां बहुत सारे लोग आए थे और ज्यादा समय मोबाइल फोन चलाने में ही बिताया. घर के बड़े बुजुर्गों से सुना था कि पहले के जमाने में शादी के फंक्शन महीनों तक चलते थे. मेहमानों की संख्या भी ज्यादा होती थी. उस समय एक मेजबान के लिए मेहमान भगवान के समान माने जाते थे. लेकिन इस फंक्शन को देखकर लगा कि मोबाइल ही मेजबान और मेहमान के एंटरटेनमेंट का असली जारिया है.

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