समाज में बहुत सारे बदलाव देखने को मिले हैं जिसमें एक सबसे बड़ा बदलाव हर किसी का अपने मन मुताबिक आजादी के साथ जीना है . एक समय था जब हमें पैदा होते ही दूसरों के लिए जीना, समझौते और संघर्ष को अपनाना, सुखी जीवन के मूल मंत्र के रूप में सिखाया जाता था. लेकिन आज जैसेजैसे इंसान शिक्षित और स्वावलंबी हो रहा है वह आजाद खयाल के विचारों के साथ विदेशी संस्कृति से प्रभावित अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने की तरफ बढ़ रहा है. फिर ऐसे में आपसी संबंध या शारीरिक संबंध से संबंधित समलैंगिकता के तहत अपने पसंदीदा पार्टनर के साथ जिंदगी गुजारने की बात ही क्यों ना हो.

पुरुष समलैंगिक और स्त्री समलैंगिक रिश्तो को समाज के ठेकेदारों द्वारा भले ही स्वीकार न किया गया हो. लेकिन आज मानसिक तनाव के माहौल में जहां अपना अकेलापन दूर करने के लिये हर किसी को किसी न किसी की जरूरत है जिससे वह अपने दिल की बात कह सके, अपना दुख बांट सके और शारीरिक सुख पा सके, ऐसे पार्टनर की तलाश रहती है. क्योंकि कई बार वफादारी और आपसी समझ की कमी के चलते पुरुष या महिला किसी दूसरे पुरुष या महिला से अपनी बात सांझा करने में हिचकिचाते हैं.

दो लड़कियां या दो लड़के अपनी बात एक दूसरे से खुलकर शेयर कर लेते हैं. ऐसे में जब दो लड़कों के बीच अंडरस्टैंडिंग के अलावा प्रेम की भावनाओं का भी एहसास जन्म लेने लगता है तो उसे समलैंगिकता के तहत प्यार का नाम दे दिया जाता है. जो की सेम सेक्स में देखने को ज्यादा मिल रहा है. इसी के चलते आज के समय में समलैंगिक जोड़ों की तादाद कुछ ज्यादा ही बढ़ रही है . इस रिश्ते को अलगअलग नाम से बुलाया जाता है. जैसे होमो , लेस्बीन, गे, ट्रांसजेंडर आदि.

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