साल 2015 में रोहतक में एक नेपाली मूल की 25 वर्षीय औरत के साथ जिस तरह से बलात्कार हुआ और फिर जिस तरह से उसे मार कर सुनसान खेत में फेंक दिया गया, जहां उस की लाश 3 दिन तक सड़ती रही और पक्षियों व कुत्तों का खाना बनती रही, रोंगटे खड़े करने वाला है. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों का कहना है कि उस के अंग में कोई लंबा डंडा डाला गया था. उस के पिछले अंग में पत्थर था, तो उस के अंग से कई कंडोम भी मिले. शरीर के कई अंग गायब भी थे.

यह औरत अर्धविक्षिप्त थी पर फिर भी अपनेआप चलफिर सकती थी और हलद्वानी इलाज के लिए आई थी. वह रोहतक में घरेलू काम करने वाली अपनी एक बहन से मिलने आई थी. उसे रास्ते में कहीं अगवा कर लिया गया. फिर बेरहमी से उस के साथ दुष्कर्म किया गया. ऐसा घिनौना काम करने वाले मर्द आज के युग में भी मौजूद हैं. जब हर तरफ पुलिस का खौफ हो, यह एक भयावह बात है. एक औरत को देखते ही कईयों की नीयत क्यों खराब होने लगती है? क्यों वे समाज के नियमों का आदर नहीं कर पाते? ऐसे सवाल बारबार उठते हैं. जहां औरत स्वयं निमंत्रण दे वहां की बात दूसरी है, पर जहां अनजानी औरत हो वहां उस की सुरक्षा करने की जगह उस के दुरुपयोग की आखिर कोई कैसे सोच सकता है? यह कहां का पाठ है कि हर औरत एक निरीह जानवर है जिसे जब चाहो जैसे चाहो इस्तेमाल किया जा सकता है.

वैसे इस में धर्मों का बहुत योगदान है, जो सैक्स के मामलों में औरतों को ही गुनहगार मानते हैं. ज्यादातर धर्मों में पुरुषों के अनाचार की पीडि़ता को ही सजा दी जाती है. शायद ही कोई ऐसा धर्म हो, जो पुरुष को दंड देता हो. यह तो आधुनिक कानूनों की देन है कि बलात्कार का मामला बनता है और पुरुष जेल में जाता है. धर्मों की जब तक चलती थी तो ऐसी औरतों को दूषित, कलंकित मान कर घर से निकाल दिया जाता था. आज भी दुनियाभर में कहीं बलात्कार के लिए चर्चित लड़की से हंसीखुशी विवाह होते हों, लगता नहीं है. पुरुष बीसियों के साथ सो लें, वे शुद्ध रहते हैं पर औरत को विवाह की पहली रात अपने अक्षत होने का सुबूत आज भी समाज में देना पड़ता है. तलाकशुदा का विवाह अभी कुछ दशकों में वैध हुआ पर समाज ने बलात्कार की पीडि़ता से विवाह आज भी वैध नहीं किया है. यही बात बलात्कारियों को अतिरिक्त बल देती है, परपीड़न सुख देती है.

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