केंद्र सरकार की दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. हाल यह है कि अप्रैल महीने में तेजी से आगे बढ़ रही दुनिया की 10 अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे पीछे है.
कोरोना और लौकडाउन की वजह से हुई आर्थिक तबाही को ही नहीं, बल्कि इसके पहले के तीनचार वर्षों के नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में हुई आर्थिक बदहाली को भी दुरुस्त करना होगा.
उधर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि इस साल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ नैगेटिव रहेगी. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रैस कौन्फ्रैंस में कहा कि दुनियाभर में हालात चिंताजनक बने हुए हैं और लौकडाउन के कारण मांग में कटौती हुई है. दास ने कहा, ‘कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को नुक़सान हुआ है.'
वहीं, भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि देश आर्थिक महाविनाश की कगार पर खड़ा है और अर्थव्यवस्था को सुधारना अकेले प्रधानमंत्री कार्यालय के बूते की बात नहीं है. इसलिए, पीएमओ व पूरी सरकार को पूर्व वित्त मंत्रियों समेत कई अर्थशास्त्रियों की मदद लेनी चाहिए और इसमें यह नहीं देखना चाहिए कि वह ऐक्सपर्ट किस राजनीतिक दल का है. उन्होंने इस पर चिंता जताई और कहा कि स्थिति बदतर हो सकती है.
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‘द वायर’ पोर्टल के साथ लंबी बातचीत में रघुराज राजन ने यह भी कहा कि सिर्फ नोवल कोरोना वायरस और लौकडाउन की वजह से हुई आर्थिक तबाही को ही नहीं, बल्कि इसके पहले के तीनचार वर्षों के दौरान हुई आर्थिक बदहाली को भी दुरुस्त करना होगा.