लड़कियों से जब ‘तुम बड़ी हो कर क्या बनोगी?’ यह सवाल पूछा जाता है तो आमतौर पर डाक्टर, इंजीनियर, वकील, आर्टिस्ट आदि आम जवाब सुनने को मिलते हैं. लेकिन आप की बेटी आप से यह कहे कि मैं जासूस बनूंगी, तो यकीनन आप के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगेंगी.
वैसे हम टीवी चैनल्स पर जो जासूसी सीरियल्स देखते हैं उन में स्त्री हमेशा सहायक की भूमिका में या फिर मजाकिया भूमिका में दिखती है. लेकिन हिंदुस्तान की पहली महिला जासूस रजनी पंडित एक साहसी जासूस हैं. यह बात उन्होंने समयसमय पर कई नामचीन लोगों, बिजनैसमैनों व नौकरीपेशा लोगों की समस्याएं सुलझा कर साबित कर दिखाई है.
ऐसे हुई शुरुआत
शुरू से ही सोशल वर्क की चाहत रखने वाली रजनी पंडित ने सब से पहले अपने कालेज में बुराई के रास्ते पर चलने वाली एक लड़की का पीछा कर के सारे सुबूत उस की मां के हाथों में सौंपे थे.
प्रोफैशनल तरीके से जासूसी कैसे शुरू की? इस सवाल का जवाब देते हुए रजनी ने कहा कि उन्होंने एक पत्रकार का केस ले कर उस की समस्या सुलझाई थी. उस वक्त उस पत्रकार ने उन पर अखबार में आर्टिकल लिखा था. फिर समाचारपत्र, दूरदर्शन, मैगजीन वगैरह का ध्यान उन पर गया. एक समय था जब उन के जासूसी प्रोफैशन का विज्ञापन छापने तक के लिए कोई भी अखबार तैयार नहीं हो रहा था. वही आगे उन का इंटरव्यू छापने लगे. तब बहुत से जातिधर्म में फंसे हुए लोग उन के पास अपनी समस्याएं ले कर आने लगे. सही बात तो यह है कि उन्होंने कामयाबी से जो केसेज सुलझाए उन की वजह से लोग उन के पास आने लगे.