फैशन की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली 50 वर्षीय अनीता डोंगरे की शख्सीयत अनूठी है. नम्र स्वभाव की अनीता ऐसे माहौल में पैदा हुई थीं जहां महिला उद्यमी बनने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. ऐसे में अपने सपने को साकार करना आसान नहीं था. सफलता के इस मुकाम पर पहुंच कर भी वे खुद को लर्नर ही समझती हैं. उन से हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं:

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अपने बारे में विस्तार से बताएं.

मैं पारंपरिक सिंधी परिवार से हूं. मेरे दादादादी जयपुर से थे. मैं मुंबई में पलीबढ़ी, क्योंकि मेरे पिता मेरे जन्म से कुछ ही महीने पहले मुंबई आ गए थे. मैं गरमी की छुट्टियों में जयपुर जाती थी. वहां मैं ने देखा कि मेरे परिवार के अन्य भाईबहनों के लिए बहुत सख्त माहौल था.

50 चचेरे भाईबहनों के बड़े परिवार में किसी ने भी महिला उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन मैं मुंबई में थी. यहां मुझे मेरे मातापिता ने पूरी आजादी दी. एसएनडीटी कालेज से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद मैं ने भारतीय परिधानों की डिजाइनिंग शुरू की. उस समय के सभी बड़े बुटीक्स में मेरा काम पसंद किया जाने लगा.

किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहती थीं?

जब मैं 15 वर्ष की थी तब से मुझे डिजाइनिंग और फैशन पसंद था. मेरे बहुत से दोस्त कौमर्स की पढ़ाई कर चार्टर्ड अकाउंटैंट बन गए, लेकिन मुझे यह बोरिंग लगता था. केवल फैशन ही ऐसा क्षेत्र था जो मुझे पसंद था.

प्रेरणा कहां से मिली?

मेरी मां घर पर मेरे और मेरे भाईबहनों के लिए कपड़े सिलती थीं. यह मुझे अच्छा लगता था. लेकिन तब मुझे यह पता नहीं था कि मैं यहां तक पहुंच जाऊंगी. लेकिन काम करने की उत्सुकता हमेशा बनी रही. आज भी जब कोई नया काम शुरू करती हूं तो उसे अच्छा करने की कोशिश करती हूं. मेरी प्रेरणास्रोत मेरी मां हैं.

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