दीपांजलि ने कोलंबिया से ग्रैजुएशन कर कौरपोरेट जौब शुरू की. लेकिन एक दिन जब उन्हें पता चला कि भारत में सिर्फ 12% महिलाएं ही पर्सनल हाइजीन प्रोडक्ट्स यूज करती हैं तो उन्होंने तुरंत जौब छोड़ने का निर्णय लिया ताकि वे इस दिशा में कुछ कर पाएं. उन्होंने ऐसे पैड्स बनाए जो पूरी तरह नैचुरल होने के साथसाथ पर्यावरण को भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते. अब उन का लक्ष्य बस यही है कि महिलाओं को मैंस्ट्रुअल हाइजीन का महत्त्व बता कर प्राकृतिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

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पेश हैं, दीपांजलि से हुई बातचीत के कुछ अंश:

अपने स्कूल डेज और फैमिली के बारे में कुछ बताएं?

मेरा दिल्ली से गहरा जुड़ाव हो गया है, क्योंकि मैं यहीं जन्मी और पलीबढ़ी हूं. अपनी फैमिली की मुझे हमेशा सपोर्ट रही. परिवार ने भी मुझे हमेशा आगे बढ़ना व मेहनत करना सिखाया. हम 3 भाईबहन हैं. मैं बहुत ज्यादा होशियार तो नहीं हूं, लेकिन जो भी पढ़ा मन से पढ़ा और यह उसी का परिणाम है कि मैं कुछ कर पाई हूं. मैं ने ‘दिल्ली कौन्वैंट स्कूल’ और न्यूयौर्क के ‘बर्नार्ड कालेज औफ कोलंबिया यूनिवर्सिटी’ से पढ़ाई की.

आप ने कब सोचा कि जौब छोड़ कर आप को खुद का कुछ अलग करना चाहिए?

2014 में कोलंबिया से ग्रैजुएशन करने के बाद मैनहट्टन में वित्तीय क्षेत्र में कौरपोरेट जौब पाने के लिए जीतोड़ मेहनत की. मैं ने खुद को उस समय बहुत गौरवान्वित महसूस किया जब ‘अर्नस्ट ऐंड यंग’ ने मुझे अपना भविष्य का वित्तीय विश्लेषक कहा. मैं ने वहां की व्यावसायिक सलाहकार टीम के सदस्य के तौर पर भी कई परियोजनाओं पर काम किया. फिर भी मैं ने खुद को काफी अधूरा महसूस किया, क्योंकि मैं कुछ बदलाव के लिए नया करने की इच्छा रखती थी.

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