दुनिया में आमतौर पर सुपरपावर माने व समझे जाने वाले अमेरिका की हैसियत खतरे में है. अमेरिकी डौलर, जो 75 वर्षों से विश्व अर्थव्यवस्था पर एकछत्र राज कर रहा है, अब कई एजेंडों की ज़द में आ गया है जो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं.

यह सही है कि अमेरिका में अब तक 16 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो गए और तकरीबन एक लाख इंसानों की जानें जा चुकी हैं लेकिन उसके के सामने इससे भी बड़ी चुनौती चीन और चीनी करैंसी डिजिटल युवान की ओर से आ रही है. चीन के कुछ हिस्सों में डिजिटल करैंसी का प्रयोग शुरू हो चुका है और इसे राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय करैंसी के तौर पर पूरी दुनिया में चलाने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है.

चीन, दरअसल, वर्ष 2022 में एक डिजिटल युआन मुद्रा लाना चाहता है जिसका नाम है - ई-आरएमबी.
2022 में चीन जाने वाले लोगों को इस नई डिजिटल करैंसी में ही ख़रीदारी या लेनदेन करना पड़ सकता है. यह ऐसी मुद्रा होगी जो नज़र नहीं आएगी, न ही इसे आप नोट की तरह हाथ में ले सकेंगे. यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है.

चीन के केंद्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक औफ चाइना ने देश के 4 बड़े शहरों में इस पर काम शुरू कर दिया है. इस परियोजना में सरकारी कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा डिजिटल युआन में दिया जाएगा. इसके अलावा लगभग 20 निजी व्यवसायों, जैसे स्टारबक्स और मैकडोनल्ड ने भी इस प्रयोग में हिस्सा लिया है.

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