अडानी समूह पर बहस में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खडगे ने एक जगह कह दिया कि सरकार ने सारे न्यूज चैनलों के एंकर खरीद लिए हैं. गोदी मीडिया, गोदी मीडिया सुनने वाले चैनल एंकर आमतौर पर इस तरह की सुनने की आदत हैं पर एक को पूछ लिया कि साबित कर के दिखाओ कि एक भी पाई ली हो. यह साबित करने की बात भी मजेदार है. एकरों को यह कहना पड़ रहा है कि दूसरा पक्ष साबित करें कि वे झूठ बोल रहा है, अपनेआप में स्वीकारों की है. जनता या नेता कोई ईडी, सीबीआई, एनआईए तो हैं नहीं जो आप को महिनों बंद कर के रखे कि आप की पाई को ढूंढना है. यह ताकत तो उन के पास है जो पाई दे सकते हैं.
गोदी मीडिया बिका हुआ है यह तो साफ दिखता है कि वे रातदिन ङ्क्षहदूमुसलिम करते हैं, सरकार का प्रचार करते है. प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों का सीधा प्रसारण घंटों तक करते हैं और उन के चैनल ही फ्री औफ कौस्ट सैटटौप वाक्यों से ग्राहकों तक पहुंचाते हैं. किसी के बिकने के सुबूत इतना ही काफी है कि वह अमीरों, उद्योगपतियों, सब में बैठे लोगों की बातें रातदिन को और जो लोग उन की पोल खोले उन की बात को रिपोर्ट भी न करे.
अक्सर आलोचना करने वालों से पूछा जाता है कि आप दूसरा पक्ष भी क्यों नहीं देते. ‘सरिता’ को सैंकड़ों पत्र मिलते हैं हम दूसरी तरपु की बातें, यानी वे बातें जो सरकार ढिढ़ोरा पीट कर कह रही है और मंदिरों के प्रवचनों में रोजाना दोहराया जा रही हैं, हम भी क्यों नहीं कह रहे, नहीं कह रहे तो अवश्य किसी ने खरीद रखा है.
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