भारत की कानून व्यवस्था बिलकुल चरमरा गई है. जिस तरह रिया चक्रवर्ती को बिना सुबूतों के 1 माह जेल में बंद रखा गया, जिस तरह हाथरस में रेप पीडि़ता के घर वालों को घर में कैद रखा गया और उन की बिरादरी को अलगअलग रखा, किसी से मिलने नहीं दिया और जिस तरह बिना सुबूतों के सफूरा जरगर को कैद में रखा गया कि उस ने नागरिक संशोधन कानून का विरोध किया था और फिर जमानत दी गई, यह साफ करता है कि देश की पुलिस अब औरतों को जेल में बंद करने में जरा भी हिचकती नहीं है.

यह अफसोस की बात है कि पुलिस ने अब राजनीति के चलते औरतों को सजा दिए बिना बंद करना शुरू कर दिया है आमतौर पर अभी भी कुछ उच्च न्यायालय छूट दे देते हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ज्यादातर मामलों में सरकार और पुलिस की हां में हां मिला रहा है.

यह बेहद खतरनाक स्थिति है. जेल में रहने का ठप्पा औरतों के भविष्य को और ज्यादा खतरे में डालता है. सरकार का विरोध करने का हक हरेक को है और अगर सरकार ऐसी हो जो एक तरफ नागरिक हकों को छीन रही हो और दूसरी ओर औरतों को रीतिरिवाजों, संस्कृति, संस्कारों की दुहाई दे कर उन्हें पति या पिता की जूती ही मानने को बाध्य कर रही हो, तो उस का विरोध वाजिब है. पहले औरतों को पकड़ा नहीं जाता था पर अब पुलिस बेहिचक पतियों और बेटों को तो बंद कर ही देती है, औरतों, बहनों, बेटियों को भी साथ देने के नाम पर बंद कर देती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...