मैं कभी पैसे के पीछे नहीं दौड़ा, बल्कि हमेशा अपने कंज्यूमर्स की जरूरत को समझने की कोशिश की है. यह कहना है आनन्दा ग्रुप के मालिक राधेश्याम दीक्षित का. बाजार में प्रचलित आनंदा डेरी प्रोडक्ट्स इसी ग्रुप का हिस्सा हैं. वर्तमान समय में ये प्रोडक्ट्स सभी की पहली पसंद बन चुके हैं. इस की बड़ी वजह है इन प्रोडक्ट्स की शुद्घता. इस बाबत राधेश्याम कहते हैं, कस्टमर तक अपनी पहुंच बनाने के लिए जरूरी है कि उन का भरोसा न टूटने पाए और आनन्दा ग्रुप अपने उत्पादों की शुद्घता को बनाए रखने के लिए डट कर काम करता है.
यही ईमानदारी ही राधेश्याम की सफलता की बड़ी वजह है. तब ही तो 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद वे आनन्दा को इस मुकाम तक पहुंचा सके. वे आगे बताते हैं, पिताजी की एक छोटी सी डेयरी शौप थी. हम तीनों भाई पिताजी के साथ बारीबारी से दुकान में बैठते थे और काम सीखते थे. मैं ने तो 12वीं कक्षा से ही काम शुरू कर दिया था.
इतनी कम उम्र में ही बिजनैस के दांवपेच समझ जाने के बाद राधेश्याम यह तो तय कर चुके थे कि कुछ बड़ा करना है. यह मौका भी उन्हें मिला. एक बड़े ब्रैंड ने उन्हें अपनी एजेंसी देने का औफर दिया. यह उस वक्त बड़ी बात होती थी. राधेश्याम बताते हैं, हमारी डेयरी शौप बहुत मुनाफा कमा रही थी. लेकिन इस औफर के बारे में पिताजी और हम भाई सोचने पर मजबूर हो गए. बाद में यही तय किया कि हम एजेंसी का काम लेंगे.
चलती और मुनाफा कमाती दुकान किसी और को बेच कर और एक बड़ा जोखिम उठाते हुए राधेश्याम और उन के पिता जी ने एजेंसी काम शुरू किया अब दूध नहीं मक्खन बेचना था. काम चल पड़ा अब दूसरे डेयरी ब्रैंड भी राधेश्याम और उनके पिताजी को अपने प्रोडक्ट्स की एजेंसी लेने के लिए सपंर्क करने लगे थे. इस बाबत राधेश्याम बताते हैं, हम तैयार थे दूसरी एजेंसियों का काम लेने के लिए भी, लेकिन इस में कई अड़चनें भी थीं. पहली अड़चन यही थी कि पहली वाली एजेंसी दूसरी एजेंसी का हम काम लें . इस के सर्मथन में नहीं थी लेकिन काम तो लेना ही था सो एक एजेंसी मैं देखने लगा और दूसरी मेरा भाई.