टाइमलैस आइकन अवार्ड
K.K Shailaja : केरल की स्वास्थ्य मंत्री रहीं के.के. शैलजा ने कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह लोगों को संक्रमित होने से बचाने में महती भूमिका निभाई उस ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन की एक पहचान स्थापित की. शैलजा वर्तमान में 15वीं केरल विधानसभा में मट्टनूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.
कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए शैलजा ने जिस तत्परता और दृढ़ता से मोरचा संभाला, उसे देख कर दुनिया हत्प्रभ थी.
द गार्जियन ने उन्हें ‘कोरोना वायरस कातिल’ और ‘राक स्टार स्वास्थ्य मंत्री’ के रूप में वर्णित किया तो बीबीसी ने उन्हें एशियाई महिला कोरोना सेनानियों की सूची में शामिल किया. ब्रिटिश पत्रिका प्रास्पैक्ट ने उन्हें 2020 के विश्व के ‘शीर्ष विचारक’ के रूप में स्थापित किया.
संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें आमंत्रित कर सम्मानित किया. ब्रिटिश अखबार फाइनैंशियल टाइम्स ने उन्हें 2020 की सब से प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट में जगह दी.
राजनीतिक सफर
कन्नूर जिले के मट्टानूर में जन्मीं शैलजा ने बीएससी और बीएड की पढ़ाई की. राजनीति में उन की ऐंट्री ‘स्टूडैंट फैडरेशन आफ इंडिया’ यानी एसएफआई के जरीए हुई. के.के. शैलजा पहली बार 1996 में कुथुपरंबा सीट से विधायक चुनी गईं. उस के बाद 2006, 2016 में फिर से विधायक बनीं.
के. के. शैलजा जब 2018 में स्वास्थ्य मंत्री थीं, तब केरल में निपाह वायरस ने दस्तक दी थी. निपाह कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक था क्योंकि इस में डैथ रेट 70% था. कोरोना में डेथ रेट 2% से भी कम है. निपाह से निबटने के लिए उन्होंने एक अच्छी रणनीति बनाई. खुद अस्पतालों का दौरा किया. हर दिन प्रैस कौन्फ्रैंस कर हालात की जानकारी दी. केरल इस से पहले इबोला वायरस की मार भी झेल चुका था.
कभी सोचा नहीं था
एक छोटे से कसबे में पलीबढ़ी शैलजा कहती हैं कि उन्हें अपनी अम्मां और दादी से बहुत प्रेरणा मिली जो एक कट्टर कम्युनिस्ट नेता थीं और जिन्होंने केरल में चेचक के प्रकोप से निबटने में मदद की थी. अपनी अम्मां के जरीए उन्होंने सीखा कि कम्युनिस्ट पार्टी किस तरह डर और गलत सूचना से निबटती है और लोगों को सिखाती है कि संक्रामक बीमारी से कैसे निबटा जाए. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें भी ऐसा ही करने का मौका मिलेगा.
इबोला और निपाह वायरस को मैनेज करने की रणनीति का फायदा कोरोना को काबू करने में भी मिला. उल्लेखनीय है कि केरल में ही देश का पहला कोरोना मरीज मिला था.
के.के. शैलजा का मानना है कि कोई भी बीमारी हो, एक अच्छी योजना बना कर और उस पर अमल कर के उस पर काबू पाया जा सकता था. के.के. शैलजा के नेतृत्व में जनवरी, 2020 से ही सभी एअरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी और जिन में भी कोरोना के लक्षण मिले, उसे सीधे अस्पताल भेजा गया. कुछ ही महीनों में केरल में कोरोना काबू में आ गया.
महिलाओं की लीडरशिप को दर्शाया
सही प्लानिंग और लीडरशिप किस तरह बड़ी मुश्किलों से बाहर निकाल सकती है यह के. के. शैलजा ने उदाहरण के साथ दुनिया को बताया. बड़ी महामारी के दौर में जब लोग अपने घरों से बाहर तक निकलने से डर रहे थे तब शैलजा ने ऐसी मुश्किल से लोगों को बाहर निकालने के लिए कमर कस ली. शैलजा उन सभी महिलाओं के लिए मिसाल हैं जिन्हें यह लगता है कि महिलाएं सिर्फ घर संभालना जानती हैं. अपने कामों से न सिर्फ उन्होंने लाखों लोगों की जिंदगी बचाई बल्कि दुनिया में अपनी अलग पहचान भी बनाई.