रेस्तरां पूरा खाली था. एक तरफ कुछ मेजों को जोड़ कर 15 से 20 लोगों के बैठने की व्यवस्था बना दी गई थी. दोपहर के 2 बजे थे. 1-1 कर वहां महिलाओं का आना शुरू हुआ. सभी सीटें भर गईं. सीटो पर सजीधजी महिलाएं बैठी थीं, जिन की उम्र 30 से 35 साल के बीच थी. सभी युवा थीं. पढ़ीलिखी दिख रही थीं. ये सभी हाउसवाइफ थीं. इन की किट्टी का थीम स्कूल ड्रैस था, इसलिए सभी अपनेअपने हिसाब से स्कूल गर्ल्स की तरह बन कर आई थीं.

कई महिलाओं की फिटनैस ऐसी थी कि वे स्कूल तो नहीं पर कालेज जाने वाली लड़कियां जरूर लग रही थीं. सभी एकदूसरे की तारीफ कर रही थीं.

इस के बाद एकदूसरे के साथ मोबाइल सैल्फी लेने का दौर शुरू हो गया. होड़ इस बात की थी कि सैल्फी लेते समय सब से अच्छा ‘पाउट’ कौन बना लेता है? ‘सैल्फी पाउट’ का क्रेज महिलाओं में बहुत अधिक है. मोबाइल से सैल्फी लेते समय वे मुंह को पतला करती हैं, जिस की वजह से सैल्फी सुंदर आती है.

नैचुरल पाउट बेहद सुंदर दिखते हैं. जिन महिलाओं के लिप्स उतने भरे नहीं होते वे पाउट के जरीए खुद से बनाने का काम करती हैं. कुछ महिलाएं इन को सही से बना लेती हैं. उन का चेहरा सुंदर लगता है. सैल्फी पाउट ले कर सोशल मीडिया खासकर इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर पोस्ट कर दी जाती हैं.

सैल्फी के बाद सब से पसंद किया जाने वाला टें्रड रील बनाने का हो गया है. महिलाएं एकदूसरे के छोटेछोटे वीडियो क्लिप मोबाइल से बनाती हैं जिन्हें फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब के माध्यम से पोस्ट किया जाता है. यह आजकल सब से पौपुलर ट्रैंड बन चुका है. इस के लिए अच्छी लोकेशन की तलाश रहती है. किट्टी पार्टी जिस होटल में होती है वहां ऐसी जगह तलाशी जाती है. इस के बाद गु्रप फोटो अलगअलग स्टाइल में क्लिक कराया जाता है. कई बार तो इस के लिए प्रोफैशनल फोटोग्राफर भी बुलाया जाता है.

गौसिप, डांस, गेम्स और खाना

फोटोग्राफी के बाद डांस, गेम्स और खाना किट्टी पार्टी का प्रिय शगल होता है. यही वजह है कि हर बार पार्टी के लिए नई लोकेशन की तलाश होती है. कोई भी किट्टी पार्टी बिना गौसिप के पूरी नहीं होती. हर पार्टी में कोई न कोई ऐसा जरूर होता है जो किसी न किसी कारण से पार्टी का हिस्सा नहीं बन पाता. इस की ही सब से अधिक गौसिप होती है. गौसिप भी निजी संबंधों, व्यवहार, घरपरिवार और दोस्त को ले कर होती है. कई बार सैक्स संबंधों पर भी खुल कर बातें होती हैं. इस तरह से 4-5 घंटे की किट्टी पार्टी पूरी हो जाती है.

कई महिलाएं ऐसी हैं जो 3-4 किट्टी तक में हिस्सा लेती हैं. किट्टी पार्टी में हिस्सा लेने के लिए सब से पहले उतने पैसे रखने होते हैं जितने की किट्टी होती है. 2 हजार की किट्टी के लिए पार्टी के लिए पैसा अलग से देना पड़ता है. यह भी किट्टी की रकम के ही बराबर होती है. इस के अलावा कपडे़, मेकअप और स्टाइल के लिए भी खर्च करना पड़ता है. 2 हजार की किट्टी के लिए होने वाली पार्टी में हिस्सा लेने के लिए 2 से 4 हजार के बीच में अलग खर्च हो जाता है.

ऐसे में किट्टी के जरीए फंड जुटाने वाली बात बेमकसद हो जाती है. अगर पैसा जुटाना मकसद होता तो पैसे का भुगतान औनलाइन किया जा सकता था, जिस से बाकी के खर्च बच जाते. किट्टी में यह नियम होता है कि अगर आप को पार्टी में शामिल नहीं भी होना है तो भी किट्टी के खर्च वाले पैसे देने ही पड़ेंगे. ऐसे में किट्टी के जरीए पैसे की बचत वाली बात बेमकसद लगती है.

समय का नुकसान

किट्टी पार्टी में 3-4 घंटे का समय लगता है. इस के साथ ही आनेजाने और तैयारी करने में समय अलग से लगता है. जो महिलाएं 3-4 किट्टी हर माह करती हैं वे पूरा माह इस की तैयारी करती रहती हैं. अत: जो समय महिलाओं को किसी उत्पादक काम में लगाना चाहिए उसे किट्टी पार्टी में लगाना पैसे के साथसाथ समय की भी बरबादी होती है. इस समय का उपयोग वे किसी उत्पादक काम में लगा सकती है, जिस से न केवल उन का भला होगा बल्कि घरपरिवार और समाज का भी भला होगा. किट्टी करने वाली महिलाओं का कहना है कि इस के जरीए वे अपने जैसी महिलाओं के साथ मिलजुल लेती हैं, जिस से उन को खुशी मिलती है.

महिलाएं समाज का एक बड़ा हिस्सा है. लेकिन इन में से कुछ महिलाएं जो कुछ अच्छा काम कर सकती हैं वे किट्टी में अनुत्पादक काम कर के अपना समय खराब करती हैं, अपनी सोच के दायरे को भी कम करने लगती हैं.

ये महिलाएं पढ़ीलिखी होती हैं. इन के घरपरिवार के लोग इन्हें सहयोग करते हैं. मातापिता ने बेटों की तरह ही पढ़ाने का काम किया होता है, पर इन के बाद भी ये बेटों की तरह कमाई वाले काम करने की जगह किट्टी पार्टी करने लगती हैं. अत: महिलाएं जब तक पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर काम नहीं करेंगी देश और समाज के साथसाथ घरपरिवार का भी भला नहीं होगा.

स्कूलकौलेज की फीस बेकार

एक लड़की को अगर अच्छी शिक्षा दी जाती है, प्रोफैशनल डिगरी लेती है तो 8 से 10 लाख रुपए कम से कम उस की शिक्षा पर खर्च हो जाते हैं. इतनी पढ़ाई के बाद इन की शादी हो जाती है. इस के बाद ये ससुराल जा कर पहले तो घर में कैद हो जाती हैं. इस के कुछ सालों के बाद कुछ करने लायक नहीं रह जातीं. फिर समय व्यतीत करने के लिए किट्टी पार्टी करने लगती हैं. अगर पढ़ाई के बाद शादी और शादी के बाद किट्टी जैसे ही काम करने थे तो किसी भी नौर्मल स्कूल से पढ़ाई कर सकती थीं जो 2 से 3 लाख में पूरी हो जाती.

महिलाओं की खुद की तरक्की तब तक नहीं होगी जब तक वे पढ़लिख कर आत्मनिर्भर नहीं बनती. इस के लिए मातापिता की सोच, मेहनत और खर्च करने के साथ ही साथ लड़कियों को खुद भी अपने समय की कीमत पहचाननी पड़ेगी. 25 साल से ले कर 45 साल तक 20 साल ऐसे होते हैं, जिन में महिलाएं मेहनत कर सकती हैं. ऐसे समय में मेहनत कर के खुद को आत्मनिर्भर बना सकती हैं. पढ़ाई से जो हासिल किया है उस को अगर देश, समाज और घर के विकास में नहीं लगाएंगी तो किसी का कोई भला नहीं होगा.

जिस देश की आधी आबादी अनुत्पादक काम करेगी वह देश विकास नहीं कर सकता. शिक्षित हो रही लड़कियों को यह जिम्मेदारी लेनी पडे़गी कि वे खुद आत्मनिर्भर बनें. घरपरिवार देश समाज को मजबूत बनाएं. अगर वे अपनी पढ़ाई करने के बाद खाली हैं, समय गुजारने के लिए किट्टी पार्टी का हिस्सा बन रही हैं तो किसी का कोई भला नहीं होने वाला. पढ़ाई पर खर्च किया गया पैसा बेकार चला जाएगा.

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