हर औरत के लिए डर एक सब से बड़ा प्रश्न होता है. वह हर समय डरी रहती है क्योंकि समाज ने उसे पंगु और दूसरों पर निर्भर बना दिया है और कब उस का संरक्षक, कब उस की चारदीवारी, कब उस की आय का स्रोत और कब वे, जिन्हें वह प्यार करती है और जिन्हें अपनी मेहनत और अपने खून से पालापोसा बड़ा किया, हाथ से फिसल जाएं, न रहें या सब कुछ स्वाह न हो जाए, यह डर बना रहता है. यह डर पुरुष को भी होता है पर चूंकि उसे समाज विश्वास दिलाता है कि यह सब तुम ने बनाया है, तुम इसे दोबारा बना सकते हो, उस का डर उस पर हावी नहीं होता.
फिल्म अभिनेत्री काजोल, जिस का विवाह अजय देवगन से हुआ है, का कहना है कि वह इस डर से उबरने के लिए पढ़ती है और बेहद पढ़ती है जिस से न सिर्फ उस का आत्मविश्वास बढ़ता है, वह डर का सामना करना भी सीखती है. यह सही है. ज्ञान ही हर डर का सही मुकाबला है. अगर आप जानती हैं कि आने वाली बाढ़ से बचने के लिए ऊंची पहाड़ी पर अपना सामान ले कर चले जाना है और आप को मालूम है कि आप के साथ क्या हो सकता है, तो आप डर का मुकाबला कर सकती हैं. यदि घर में रात को चोर आ जाए और आप को मालूम है कि चोर किस तरह की रोशनी, शोर से डरता है तो आप उस का इंतजाम पहले कर सकती हैं, डर पर काबू पा सकती हैं.
मगर अफसोस है कि आज की औरतें फिर 18वीं सदी की ओर लौटने लगी हैं, जिस में जानकारी की जगह गपशप लेने लगी है, धूमधड़ाका लेने लगा है, पूजापाठ लेने लगी है. ये सब डर को और असहनीय बनाते हैं, दूसरों पर निर्भर बनाते हैं. उबेर टैक्सी में बैठने वाली लड़की को यह जानकारी शायद नहीं थी कि रात अंधेरे में उसे चौकन्ना रहना चाहिए, अपनी सुरक्षा का एहसास होना चाहिए. ऐसे समय आदमी भी अपने पैसे जुराबों में छिपाते हैं पर अगर जानकारी न हो, भरोसा बस एक एप, एक कैब ड्राइवर, सरकार, पुलिस, पादरी, पुजारी, किसी अनजानी शक्ति पर हो तो लाखों में नुकसान हो सकता है.
काजोल कहती हैं कि मां के उकसाने पर उस ने समाचारपत्र की हैडलाइंस 2 साल की आयु में पढ़नी शुरू कर दी थीं. मगर आज की शिक्षित, बीए पास औरतें तो अखबार को केवल शीशा साफ करने वाला कागज समझती हैं. पढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि आप हजारों के अनुभव शेयर करती हैं, उन घटनाओं के बारे में जान पाती हैं जो सहेलियां न तो किट्टी पार्टी में बताएंगी और न ही वाट्सएप पर लिखेंगी. पौर्नी जोक्स हंसा देंगे पर जानकारी न देंगे. किताबों से मिलेगा ज्ञान, असल ज्ञान जिस में स्वार्थ कम होगा, आप का हित ज्यादा.
प्रवचनों पर भरोसा न करें क्योंकि प्रवचन के बाद बारी दानपात्र की आती है कि सारा ज्ञान, भय, धनसंपत्ति को उस में उड़ेल दो ताकि भगवा, काले, सफेद या हरे कपड़े वाले अपने राजसी खाने, महल, शानशौकत का इंतजाम करते रहें.