गेहो या लैस्बियन, अकसर लोग इन्हें देख कर नाकभौं सिकोड़ने लगते हैं. समलैंगिक संबंधों को हेयदृष्टि से देखा जाता है. आज तक हमारा समाज इन संबंधों को स्वीकार नहीं कर पाया है. समाज और धर्म के ठेकेदारों का मानना है कि आखिर एक युवक दूसरे युवक से कैसे प्यार और शादी कर सकता है. उसे तो युवती से ही प्यार करना चाहिए और युवती को भी हमेशा युवक से ही प्यार करना चाहिए. समलैंगिक संबंधों को समाज हमेशा गलत मानता रहा है, लेकिन समलैंगिक संबंध रखने वाले लोग अब खुल कर सामने आने लगे हैं. समलैंगिक युवकयुवतियां अब परेड के माध्यम से अपने प्यार का खुल कर इजहार करने लगे हैं, न तो अब उन्हें किसी का डर है और न ही किसी की चिंता. यदि आप उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते तो न करें. इन्हें आप के नाकभौं सिकोड़ने से भी कोईर् फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब ये चल चुके हैं एक अलग रास्ते पर जहां इन की सब से अलग, सब से जुदा दुनिया है.
13 पौइंट्स समलैंगिक संबंधों पर
1. आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं : प्यार की परिभाषा सिर्फ महिला और पुरुष के प्यार तक सीमित नहीं है, प्यार किसी से भी हो सकता है. पुरुष को पुरुष से, औरत को औरत से. अगर 2 पुरुष या महिलाएं साथ रहना चाहती हैं तो इस में हर्ज ही क्या है भाई, रहने दो, उन को साथ, आप क्यों बीच में टांग अड़ा कर इसे गलत साबित करने में तुले हैं. जिंदगी उन की है उन्हें उन के तरीके से जीने दीजिए.