जिंदगी का कुछ भरोसा नहीं, कब कहां गम के साए हमें घेर लें. तो क्यों न उस से पहले हम अपने आसपास हंसीमजाक भरे पलों की यादों का एक ऐसा मजबूत घेरा बना लें, जिन्हें एकाकी जीवन में याद कर के कुछ समय के लिए ही सही रिलैक्स फील तो कर सकें. चुपचाप, गुमसुम, खामोश, अपने में खोए लोग उपन्यासों और पिक्चरों में ही अच्छे लगते हैं. ऐसे लोगों का फ्रैंड सर्कल भी सीमित रहता है. आज का इनसान महत्त्वाकांक्षाओं के चलते उम्र के एक बडे़ भाग तक सुकून की सांस लेने को भी तरसता है. उस के पास हर तरह की सुखसुविधाएं होती हैं, नहीं होता है तो बस समय. किसी तरह से अपने व्यस्त जीवन में समय बचा कर यदि वह कहीं किसी दोस्त या रिश्तेदार से मिलने जाता है तो मनहूसियत भरे माहौल में रूबरू होने के लिए नहीं, बल्कि अपने को हलका और हंसीखुशी हासिल करने के लिए ही जाता है.
खूब मुसकराएं, ठहाके लगाएं
हंसनामुसकराना जीवन में ऊर्जा भरने का सहजसुलभ साधन है, जिस का आदानप्रदान बिना किसी खर्च के किसी भी समय और किसी के भी साथ किया जा सकता है, इसलिए जब भी मौका मिले खुल कर हंसें, खूब ठहाके लगाएं. बुरा वक्त सभी की जिंदगी में आता है. उसे ही हर समय याद कर के अपनेआप पर जुल्म न करें. माना कि अपमान, बुरा बरताव भुलाना आसान नहीं होता, पर जब भी ऐसी यादें आप पर हावी होने लगें तो सारे जरूरी काम बंद कर खुली हवा में प्रकृति के साथ कुछ पल बिताएं, गहरी सांसें लें. पार्क, सार्वजनिक स्थान पर लोगों की बातों में शामिल हों. अपनी गलतियों, नादानियों पर रोने की जगह मुसकराएं. अपने सैंस औफ ह्यूमर से हंसी के कुछ पल चुराएं. चुटकुले या कोई गुदगुदाने वाली घटना सुनाएं. खुद भी हंसे और सामने वाले को भी ठहाके लगाने पर विवश कर दें. आप देखेंगी कि सारा तनाव चुटकियों में काफूर हो जाएगा और आप एकदम हलका महसूस करेंगी.
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