अकसर हमारी जिंदगी में एक स्थिति आती है जब हम अपनी जिम्मेदारियां निभातेनिभाते इतना थक जाते हैं और तनावग्रस्त रहने लगते हैं कि हमारे अंदर की स्वाभाविक ऊर्जा और उत्पादकता का स्तर घटने लगता है. हमें लगता है जैसे हम दूसरों की उम्मीदें पूरी नहीं कर पा रहे. इस वजह से हम परेशान, उखड़ेउखड़े और निराश रहने लगते हैं. स्वयं को नाकाबिल और अयोग्य समझने लगते हैं. इस स्थिति को बर्नआउट की स्थिति कहा जाता है. यह कोई मानसिक बीमारी नहीं मगर खराब मानसिक सेहत का नतीजा जरूर है.
बर्नआउट की स्थिति किसी के साथ भी आ सकती है. मसलन कोई गृहिणी जो सालों से अपने घरपरिवार और बच्चों की देखभाल में अपना पूरा वक्त लगा रही है, फिर भी उसे इस कार्य के लिए सराहना नहीं मिल रही हो या कोई कर्मचारी जो पूरी मेहनत और ईमानदारी से अपना कार्य करता रहा है, जरूरी होने पर भी छुट्टी नहीं लेता मगर इस के लिए उसे प्रोत्साहन नहीं मिलता या कोई विद्यार्थी जो मांबाप के सपनों को पूरा करने के लिए रातदिन पढ़ाई में जुटा है पर फिर भी अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे आदि.
बर्नआउट की स्थिति ऐसे रिश्तों में भी आ सकती है जिस में आपस में प्यार और सपोर्ट नहीं रह जाता. बस रिश्ते को ढोने की परंपरा चलती रहती है.
कारण
बर्नआउट की वजह तनाव, जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां, सराहना न मिलना या अनुचित उम्मीदों के साथसाथ जीवन को देखने का नजरिया और आप की जीवनशैली भी हो सकती है. आप अपने काम से संतुष्ट नहीं, पर्याप्त आराम नहीं करते, दूसरों का सहयोग नहीं मिलता या अपनी समस्याएं दूसरों से कह नहीं पाते तो भी आप बर्नआउट के शिकार हो सकते हैं.
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