भारत के लिए ब्रिटेन के चुनाव एक बड़ा दुख भरा संदेश लेकर आए सर केर स्टारमर नये प्रधानमंत्री बन गए. भारतवंशी ऋषि सुनक प्रधानमंत्री पद से रुखसत हो गए.‌ मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि लिसा नंदी के रूप में एक महिला भारतवंशी यूनाइटेड किंगडम में भारत का पश्चात लहरा रही हैं. लिसा नंदी का वहां की राजनीति और लेबर पार्टी पर गहरा असर देखा जा रहा है.

आगे अगर हम बात करें ब्रिटेन में प्रधानमंत्री केर स्टारमर के नए मंत्रिमंडल की तो भारत वंशी महिलाएं यहां अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में उपस्थित हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की कैबिनेट में अबकी बार भारतीय मूल के सांसदों का बड़ा ऊंचा रूतबा है.उत्तरपश्चिम इंग्लैंड के विगन संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर भारी मतों से चुनाव जीतने वाली भारतीय मूल की लिसा नंदी को केर स्टारमर ने अहम जिम्मेदारी देते हुए संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री बना दिया है.

मजे की बात है कि 44 वर्षीय लिसा नंदी जनवरी 2020 में लेबर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनावों में अंतिम 3 दावेदारों में से एक थीं, इससे उनकी अहमियत का पता चलता है राजनीतिक पार्टियों में महिलाओं का वर्चस्व नहीं बन पाता मगर लिसा अपवाद दिखाई देती है. यहां उनका मुकाबला वर्तमान प्रधानमंत्री केर स्टारमर और एक अन्य उम्मीदवार से था, लिसा का महत्व इस बात से पता चलता है कि जब लेबर पार्टी सत्ता में नहीं थी तब भी वे महत्वपूर्ण थी और तब से उनको शैडो कैबिनेट में सेवाएं दे रही है. वह लगातार अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर रही है और इससे भारत की हर महिला को गर्व होना स्वाभाविक है.

भारत के प्रति अद्भुत आकर्षण

यह स्वाभाविक है कि लिसा नंदी का भारत के प्रति आकर्षण है और उन्होंने जो कुछ भारत के लिए कहा है उससे आने वाले समय में भारत और ब्रिटेन के संबंध और प्रगाढ़ होने की संभावना बन गई है. उन्होंने कहा है कि वह जितना प्यार ब्रिटेन से करती हैं उससे कम भारत से नहीं करती.

आईए ! अब हम आपको बताते हैं भारत में आपकी मूल जगह कहां है. कलकत्ता के रहने वाले शिक्षाविद दीपक नंदी और ब्रिटिश मां की मैनचेस्टर में जन्मी बेटी नंदी लेबर पार्टी के सम्मेलनों में भाग लिया करती थी अपनी प्रतिभा और समर्पण के दम पर उन्होंने पार्टी में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया. भारतीय विरासत और पारिवारिक इतिहास पर विचार करते हुए लीला नंदी के मुताबिक- महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से उनका परिवार भी भागीदार बना . वे कहती हैं- उनके दादा- दादी महात्मा गांधी के स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हुए थे.

यही नहीं लीसा नंदी ने 1931 में गांधी की लंकाशायर की प्रसिद्ध यात्रा पर भी प्रकाश डाला, जब गांधी ने कठिनाई का सामना कर रहे मिल श्रमिकों से मुलाकात की थी. उन्होंने टिप्पणी की कि उनके परिवार के सदस्य जो उन मिलों में काम करते थे, उन्होंने गांधी का स्वागत किया था. उनके पिता ब्रिटेन में निरत संबंधों के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते थे. कुछ साल पहले उन्होंने ब्राइटन में आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, – दोस्तों, हम आज एक ऐसे शहर में मिल रहे हैं जो प्रवासियों से बसा एक ऐसा द्वीप है जो समुद्र की तरफ देखता है. एक ऐसा देश जी हमें सिर आंखों पर इसलिए बैठाता है ताकि हम यह देख सकें कि कैसे दुनिया भर में लोगों के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है.

चुनाव जीतने के बाद दिए भाषण में लिसा नंदी ने कहा,- जो लोग घिनौनी, घृणास्पद, नस्लवादी राजनीति करते हैं, ऐसे लोगों को मैं कहना चाहती हूं कि पूर्व का इतिहास वर्किंग क्लास के लोगों से जुड़ा हुआ है जिन्होंने 100 सालों से आपको और आपकी नफरत को हमारे शहर से बार-बार उखाड़ फेंका है. उन्होंने आगे कहा, इस रूप में चुनाव परिणाम को अपने मार्चिग आर्डर के रूप में लें. लिसा नंदी ने इस तरह दिखाया है कि भारत वंशी महिलाएं चाहे कहीं भी हो अपनी अलग छाप छोड़ने में आगे हैं.

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