लिवइन रिलेशनशिप को सब से बड़ा नुकसान यह है कि लडक़ी को हमेशा यह संदेह रहता है कि अगर पार्टनर छोड़ कर चला गया तो वह आॢथक रूप से कमजोर हो जाएगी. लिवइन रिलेशन शिप भी शादी की तरह ही होते है जिन में लडक़ा ज्यादा कमाता है और घर खर्च का भार उठाता है अगर मकान, गाड़ी व्यवसाय लडक़े के नाम हो तो कुछ दिन बाद पार्टनर को ङ्क्षचता होने लगती है कि चाहे वह कमाऊ क्यों न हो, अलग हो जाने के बाद वह लिङ्क्षवग स्टैर्ड नहीं रख सकेगी जो पार्टनर के साथ रहने पर मिलता है और वहीं उसे हक भी न मिलेगा.
लिवइन जोड़ों में ये झगड़े बढऩे लगे हैं और पूनावाला व श्रद्धा का मामला उन में से एक है जिस की जड़ में फाइनेंशियल इनस्क्यिोरिटी रही लिवइन समझौता लड़कियों के लिए बहुत खतरनाक है तो केवल इसलिए कि दोनों मिल कर जो कमाते है उस से जो लाइफ स्टाइल मिलता है वह एक की कमाई से नहींं मिल सकता. पार्टनस में पैस को ले कर झगड़ा इसलिए आम बात है.
इस का कोई आसान हल नहीं अदालतों ने लड़कियों के दरवाजे खटखटाने पर लिवइन रिलेशनशिप के बावजूद उन्हें मैंनटेनैंस देनी शुरू कर दी है पर इस का कानूनी आधार नहीं है इस पर आपत्ति इसलिए नहीं होती कि लडक़ी जब अदालत का दरवाजा खटखटाती तो वाकई बुरी हालत में होती है.
लिवइन रिलेशनशिप को कानूनी जामा पहनाना भी गलत होगा क्योंकि यह लडक़ेलड़कियों की स्वतंत्रता को खत्म कर देगा. कुछ मामलों में हत्या तक बात पहुंच जाए केवल इसीलिए इन कच्चे संबंध पर लिमेंट पोतना भी संबंधों से फ्रीडम छीनना होगा.
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