मीना आर्थिक रूप से पति पर पूरी तरह से निर्भर थी. पति आलोक बहुत कंजूस थे. वह हमेशा अपनी इच्छाओं को दमित करती रहतीं पर फिर भी पति के ऊलजलूल तानों, उलाहनों, के बाद कभी गाली तो कभी पिटाई के बाद आंसू बहाती रहीं. इसलिए मीना जी ने अपनी इकलौती बेटी रिनी को अपने पैरों पर खड़ा करके आत्मनिर्भर बनाने का निश्चय किया था.
आलोक जी ने बेटी को मोम की गुड़िया बना कर कडे़ अनुशासन और पाबंदियों के साथ सदा अपनी निगरानी में महिला कालेज से ग्रेजुएट करवाने के साथ शादी के लिए लड़का खोजना शुरू कर दिया था.
परन्तु बेटी की जिद और पत्नी की इच्छा को देखते हुए MBA करने की आज्ञा दे दी. उसकी मेहनत रंग लाई.
कैम्पस सेलेक्शन में गोदरेज कंपनी मे उसे नौकरी मिल गई. मीना जी का मनमयूर नाच उठा. ट्रेनिंग के लिए आलोक जी स्वयं बेटी के साथ चेन्नई गये थे. मुम्बई पोस्टिंग मिली तो पत्नी को साथ में कमरा लेकर रहने को भेज कर तेजी से लडका ढूंढने में लगे गये.
परंतु एक दिन आलोक जी का एक्सीडेंट हो गया उनकी रीढ की हड्डी में हेयरलाइन फ्रैक्चर के साथ हाथ में भी गहरी चोट लगी थी. मीना जी के लिए पति की देखभाल करना जरूरी हो गया. पापा ने रिनी से नौकरी छोड़कर घर पर ही रहने को कहा लेकिन वह नहीं मानी और कुछ दिनों के बाद अकेले चली गई.
आलोक जी को चोट ने तीन महीने के लिए बेड पर लेटने को मजबूर कर दिया था. जीवन में पहली बार रिनी आजाद पंछी की तरह अकेले रह रही थी. सजल से पहले ही उसकी हाय हेलो हो जाया करती थी. कैन्टीन में साथ में काफी पीते पीते कब प्यार हो गया, वह समझ ही नहीं पाई. गाड़ी से घर छोड़ दूंगा, कहते कहते उसके कमरे में आने लगा. काफी के बाद खाना और फिर रात में रुकना भी शुरू हो गया.