अपनी बेटी को बिना बताए उसके जन्म दिन पर सरप्राइज देने के उद्देश्य से मैं उसके फ्लैट गुड़गांव पहुंची तो मेरे पांव तले जमीन ही सरक गई. उस फ्लैट में उसके साथ एक लड़का भी था.
"मम्मी, इससे मिलो यह रोहन है. मेरे साथ मेरी कम्पनी में ही जौब करता है, हम दोनों ने एक ही फ्लैट किराए पर ले लिया है, आधा आधा पेमेंट करते हैं. साथ ही घर के कामों में बराबर की हिस्सेदारी है." उसने यह सब इतनी सहजता से कहा जैसे यह कोई बहुत ही साधारण बात हो.
लेकिन मैं तो अपना आपा खो बैठी, "यह सब क्या बोल रही है? तुझे शर्म नहीं आई. हमने तुझे इसलिए यहां भेजा था कि तुम यहां आकर यह करोगी. शुक्र है कि मैं यहां आ गई, अगर कोई रिश्तेदार या परिचित आ जाता, तो हमारी तो नाक ही कट जाती. अब छोड़ो यह नौकरी और सीधे घर चलो. तुम्हारी शादी करेंगे. इस तरह किसी लड़के के साथ रह कर तुम विवाह संस्था का मजाक उड़ा रही हो."
"प्लीज मम्मी, शांत हो जाइए", उसने उतेजित होने की बजाय शांत और ठंडे स्वर में कहा. मैं नौकरी छोड़कर घर नहीं चल सकती. आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं मैं. मैं और रोहन फ्लैट शेयर कर रहे हैं और साथ ही साथ घर के काम काज भी. इसमें कोई बुराई नहीं है."
"वाह बेटी, बहुत खूब कह रही हो, उम्र हो गई है मेरी, एक जवान लड़का और लड़की साथ साथ रहें और..असंभव.”
“ठीक बोला आपने, यह असंभव है. लेकिन हम आपसी सहमति से ही आगे बढ़ते हैं. वह भी पूरी सावधानीपूर्वक."
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