18 वर्षीय इशिता कोटा में बीटेक की कोचिंग कर रही थी, लेकिन रैंकिंग अच्छी न आने के कारण एक वर्ष पुनः कोचिंग करने लिए अपने पापा से अनुरोध किया था क्योंकि उसने तो आई.ई.टी. में एडमिशन लेने का संकल्प कर रखा था. पिता जय के लिए भी प्राइवेट कौलेज की लाखों की फीस देना आसान नहीं था.
कोचिंग में बिजी होने के कारण दीपावली पर भी बेटी घर नहीं आ रही है, सुनकर मां प्रभा जी उदास हो उठीं थीं. पत्नी की उदासी को दूर करने के लिए उन्होंने कोटा जाकर बेटी को सरप्राइज देने का प्लान बना लिया. रात्रि के आठ बजे बेटी के होस्टल पहुंचे तो वहां पता चला कि वह तो चार महीने पहले ही यहां से चली गई है. उसकी रूममेट शिवि ने बताया कि आंटी वह तो सुयश के साथ लिव इन में रह रही है.
लिव इन शब्द सुनते ही प्रभा जी की आंखों से आंसुओं की गंगा जमुना बह निकली. उधर पापा जय की आंखों से अंगारे बरसने लगे. वह पत्नी को शिकार बना कर अंटशंट बोलने लगे थे.
क्रोध और मायूसी के साथ प्रभा जी ने घंटी बजाई तो सुयश ने ही दरवाजा खोला.
"मां, आप ने पहले क्यों नहीं बताया? "
"बता देती तो तेरी यह रासलीला कैसे देखती?" कहते हुए उन्होंने झन्नाटेदार थप्पड़ उसके नाजुक गालों पर रख दिया था.
इतनी देर में घबराया हुआ सुयश ग्लास में पानी लेकर आ गया था. "आंटी प्लीज जैसा आप सोच रही हैं वैसा कुछ भी नहीं है. हम दोनों ही बी टेक के लिए तैयारी कर रहे हैं. हम दोनों केवल दोस्त हैं. मैं मैथ्स में बहुत तेज हूं तो इशी को इंग्लिश में महारथ हासिल है. कोचिंग के बिजी शेड्यूल में अपनी पढ़ाई के लिए समय ही नहीं मिलता था क्योंकि मेरा घर यहां से तीस किलोमीटर दूर है और मेरे पापा के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह होस्टल का खर्च उठा सकें. इसलिए हम लोगों ने साथ रहकर तैयारी करने और खर्च शेयर करने का फैसला किया.”