22 वर्षीय ऐन जोसेफ ने अपने सपने की खातिर इन्वैस्टमैंट बैंक की बढि़या जौब छोड़ दी. आखिर ऐन का सपना क्या था? अपना डिजाइन ब्रैंड शुरू करना. पर क्यों? ऐन के इस फैसले पर सभी ने सवाल उठाए. लोगों का कहना था कि उन्हें अपनी इतनी अच्छी जौब नहीं छोड़नी चाहिए थी. लेकिन ऐन तो फैसला कर चुकी थीं, इसलिए ऐन के सभी परिचितों को उन्हें सपोर्ट करना ही पड़ा. ऐन के हाईप्रोफाइल इमेज वाले पेरैंट्स ने भी उन का साथ दिया.

ऐन के पिता जोसेफ प्रिंस न्यू इंडिया इंश्योरैंस कंपनी से रिटायर हुए थे तो उन की मां डा. मैरी वीनस जोसेफ राजागिरी कालेज औफ सोशल साइंसेज की वाइस प्रिंसिपल और डीन रह चुकी हैं. ऐन ने एक प्रपोजल तैयार कर कुदुंबाश्री मिशन डिस्ट्रिक्ट कोऔर्डिनेटर टैनी थौमस को दिया. यह केरल सरकार का महिलाओं से संबंधित संगठन था. ऐन की योजना कुदुंबाश्री की इकाइयों के लिए अपना डिजाइन बनाने की थी. इस के लिए उन्हें निराश नहीं होना पड़ा. उन्हें कुदुंबाश्री के प्रस्ताव को जल्दी मंजूरी भी मिल गई.

एनेहा डिजाइन के जरीए विकास

कुदुंबाश्री मिशन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ऐन का अगला कदम अपने डिजाइन ब्रैंड के लिए एक अच्छा नाम तलाशना था. उन के पास समय बहुत कम था. अंत में उन्हें एक आइडिया सूझा. उन्होंने अपने ब्रैंड को एनेहा नाम दिया और उस की टैगलाइन रखी- डिजाइन के जरीए विकास. इस के बाद ऐन को एक डिजाइन तैयार करने के लिए एक उचित इकाई तलाशनी थी. इसी बीच उन्हें गांव की एक इकाई के बारे में पता चला. यह इकाई फैशन वियर बनाने पर ध्यान दे रही थी. इस तरह एनेहा मार्केट में एक जानापहचाना ब्रैंड बन गया. आज एनेहा को मेहनत और प्यार के ब्रैंड के तौर पर जाना जाता है. अब ऐन अपने संगठन में पुरुषों को भी बराबर मौका देने की योजना बना रही हैं. उन का मानना है कि महिलाओं और पुरुषों के सहयोग से ही वे एकदूसरे का और ज्यादा सम्मान करेंगे. इस के साथ ही दोनों का मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है. एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर वे इस बात पर जोर देती हैं कि उन का अगला मकसद इसे और आगे बढ़ाना है.

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