अभी भी कुछ परिवार बहू को अपनी संपत्ति समझते हैं. कमाऊ लड़की के साथ अपने बेटे का विवाह उस के ऊंचे पैकेज के लालच में कर लेते हैं. शादी के बाद पति और घर वाले बहू के बैंक अकाउंट पर अपना अधिकार समझते हुए उस की आय और व्यय का हिसाबकिताब रख कर उस पर अपना अधिकार दिखाते हैं. कुछ लड़कियां तो ससुराल वालों के दबाव में आजीवन दुखी रहती हैं पर अधिकतर इस तरह के अनावश्यक प्रतिबंध एवं दबाव को स्वीकार नहीं करतीं.

इस विषय में रांची, झारखंड की मनु जो पेशे से फोटोग्राफर हैं, कहती हैं, ‘‘बहू ससुराल की संपत्ति भला क्यों है? वह कोई वस्तु नहीं है वरन उस का अपना स्वतंत्र वजूद है. अब जितनी जिम्मेदारी अपने ससुराल के लोगों के प्रति बनती है उतनी ही अपने मांबाप के प्रति भी. हम दोनों पतिपत्नी का आपस में स्पष्ट समझौता है. यदि मैं ने उन के परिवार को अपनाया है, तो उन्होंने मुझे और मेरे परिवार को. दोनों परिवारों के बीच बहुत अच्छा रिश्ता और तालमेल है. न कोई झगड़ा न झंझट.’’

मुंबई की सुभी, जो इंटरनैशनल स्कूल में अध्यापिका हैं, का विचार है कि बहू को ससुराल की संपत्ति कहना तर्कसंगत नहीं है परंतु विवाह के बाद ससुराल के प्रति उस की जिम्मेदारी अधिक हो जाती है, क्योंकि अब वह उस परिवार की सदस्य बन कर वहां रह रही होती है. इसीलिए स्वाभाविक तौर पर उस परिवार के सदस्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह हो जाती है.

इलाहाबाद की 60 वर्षीय गृहिणी रंजना, जो 2 बहुओं की सास हैं, अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं कि आजकल की बहू के साथ आप जोरजबरदस्ती या अधिकारपूर्वक कोई भी काम नहीं करवा सकते. आप को उसे प्यार, स्नेह और इज्जत देनी पड़ेगी. तभी बहू आप की इच्छानुसार कोई काम करेगी. इस का सब से बड़ा कारण यह है कि उस का पति उस के उचितअनुचित निर्णयों के पक्ष में हर समय उस के साथ खड़ा रहता है. आज की बहू शिक्षित है, आत्मनिर्भर है और आजाद खयालात की है, इसलिए आप को उस की इच्छानुसार अपने को बदलना होगा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...