पिछले साल शाइना आहूजा रेप केस की खबर अखबारों और न्यूज चैनलों की सुर्खियां बनी. यह केस कहां तक पहुंचा है, इस का पता अभी तक किसी को नहीं चल पाया है. पैसे ऐंठने का यह केस बनावटी भी हो सकता है. कुछ लोगों का मानना है कि उस मेड सर्वेंट का एक बौयफेंड्र है, जो कभीकभी उस से मिलने आया करता था. कहीं यह केस उन दोनों की मिलीभगत तो नहीं, क्योंकि पिछले कुछ सालों से ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिन में बड़ेबड़े व्यवसायी के बेटे या सेलिब्रिटी इस तरह के ब्लैकमेल के शिकार हो चुके हैं और उन्हें अपनी जान छुड़ानी तक भारी पड़ रही है.
मुंबई के ओशिविरा पुलिस थाने में आए दिन ऐसी बनावटी घटनाएं दर्ज की जाती है. सचाई का परदाफाश होने पर ऐसे लोग पकड़ में तो आ जाते हैं. अन्यथा एक अच्छी खासी रकम उन्हें मिल जाती है. देखा जाए तो फुलटाइम मेड सर्वेंट केवल कुछ नौकरीपेशा लोग ही घरों में रख पाते हैं. घर के बच्चे तो उन के साथ तो मिक्स हो सकते हैं पर घर के मुख्य सदस्य का उन के साथ कुछ संबंध हो, यह अजीब लगता है. लेकिन मेड सर्वेंट का दांव सही लग जाए तो उन्हें अच्छे पैसे मिल जाते हैं, क्योंकि घर का मुख्य सदस्य अपनी बदनामी से छुटकारा पाने के लिए कुछ लाख रुपए आसानी से दे देता है.
इस बारे में मुंबई के अंधेरी स्थित ओशिविरा थाने के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कोई घटना पहले हमारे पास नहीं आती. व्यक्ति जब नौकर रखता है तब हमें पता नहीं होता. जब कोई घटना घट जाती है तो हम जान पाते हैं. ऐसे में हम कुछ अधिक कर नहीं पाते. मुंबई की मेड सर्वेंट प्लेसमेंट संस्था डी.एम. फिनिटी के मालिक मुकेश सिंह कहते हैं कि किसी भी महिला या पुरुष को घरों में रखने से पहले हम उस की पूरी जानकारी लेते हैं. जैसे उस का परिचयपत्र, स्थानीय पता, उस की पारिवारिक स्थिति. इस के बाद उसे प्रशिक्षित किया जाता है. उस के व्यवहार और चालचलन को ठीक किया जाता है. ये लोग कम पढ़ेलिखे और बोलचाल में अच्छे नहीं होते. ये अधिकतर गरीब या कम आयवर्ग से आते हैं. इसलिए इन्हें किसी के घर में रखते वक्त सावधानी बरतनी पड़ती है. अगर हम ने उन्हें कहीं रखा और घर के मालिक को परेशानी होती है तो उसे कोई दूसरा व्यक्ति भेजा जाता है. ये लोग अधिकतर ‘स्लम एरिया’ के होते हैं, जिन में बोरिवली, सायन, मलाड, बिरार, थाणे, डोंबीवलि, कल्याण, गोर बंडी, मानखुर्द, चेंबूर आदि हैं.
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