कहा जाता है कि हम जो कहते हैं वही करना चाहिए, यही आदर्श मनुष्यता का संदेश है. मगर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कहते कुछ और करने कुछ लगते हैं. ऐसे ही हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी. अगर आप ने उन्हें ध्यान से देखा और सुना है तो आप को समझते देर नहीं लगेगी कि नरेंद्र मोदी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर होता है.
मंत्रिमंडल गठन से पूर्व सुबह चाय में आमंत्रित किए गए भावी मंत्रिमंडल के साथियों को संबोधित करते हुए उन्होंने जो कहा, जो बातें सुर्खियों में आईं उस का सारसंक्षिप्त यही है कि हमें विनम्रता और ईमानदारी से काम करना है. अगर प्रधानमंत्री विनम्र होते तो विपक्ष मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण समारोह में, जो अपनेआप में ऐतिहासिक घटना है में अवश्य भागीदारी करता.
अगर हम ईमानदारी की बात करें तो इलैक्ट्रोरल बांड से ले कर चुनाव में हिंदूमुसलिम का राग अलापना क्या इस कसौटी पर खरा उतरेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नेतृत्व वाली अगामी सरकार में मंत्रियों के तौर पर शपथ लेने वाले सभी नेताओं को नसीहत दी कि उन्हें विनम्र रहना चाहिए क्योंकि आम लोग यही पसंद करते हैं. मोदी ने साथ ही उन्हें ईमानदारी एवं पारदर्शिता से कभी कोई समझौता न करने की भी सलाह दी. शायद यह सुनसमझ कर आम लोग और भावी पीढ़ी हंसेगी कि नरेंद्र मोदी ऐसा कैसे कह सकते हैं जब स्वयं ही इस का पालन करते हुए दिखाई नहीं देते. उन्होंने पारदर्शिता की भी बात की।
सारा देश जानता है कि नरेंद्र मोदी और पारदर्शिता के संबंध छत्तीस के हैं. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद ‘सूचना अधिकार’ का गला भी दबा दिया गया है.
जो बातें सुर्खियों में हैं उस के अनुसार नामित मंत्रियों से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा,”लोगों की उन से काफी अपेक्षाएं हैं और सभी को इसे पूरा करना होगा.”
मोदी ने 9 जून 2024 को अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री के रूप में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली. उन्होंने निवर्तमान मंत्रिपरिषद के कई वरिष्ठ नेताओं और मंत्रीपद की शपथ लेने वाले नेताओं गठबंधन के साथियों को संबोधित करते हुए कहा, “आप को जो भी काम सौंपा जाएगा, उसे ईमानदारी से करें और विनम्र रहें क्योंकि लोग उन से प्यार करते हैं जो विनम्र होते हैं.”
चाय के वक्त का यह वीडियो जारी हुआ है मगर इसमें औडियो नहीं है। उन से यह भी कहा गया कि वे सभी सांसदों को सम्मान और गरिमा दें चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, क्योंकि उन में से सभी को जनता ने चुना है.
उन्होंने कहा,”मनोनीत मंत्रियों को हमेशा विनम्र होना चाहिए और सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का सम्मान भी करना चाहिए.”
उन्होंने चाय पर नेताओं के साथ चर्चा में कहा,”आप ईमानदारी और पारदर्शिता से समझौता नहीं कर सकते.”
दरअसल, साल 2014 में मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तभी से यह एक परंपरा सी बन गई है कि मोदी मंत्रिपरिषद के गठन से पहले नेताओं और भावी मंत्रिमंडल के साथियों को चाय पर बुलाते हैं, उन से चर्चा करते हैं और उन्हें सलाह के साथसाथ नसीहत भी देते हैं.
कुल मिला कर प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी नसीहत तो देते रहते हैं मगर नसीहतें लेते नहीं है और न ही अपने काव्य व्यवहार को बदलना चाहते हैं.
प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक में अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, निर्मला सीतारमण और मनसुख मंडाविया जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे. मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वाले नए चेहरों में मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान जैसे चर्चित चेहरे शामिल थे.
अच्छा होता नरेंद्र मोदी चाय के दरमियान का वीडियो औडियो के साथ जारी होता और कथित रूप से जो नसीहत उन्होंने दी है उस का पालन करते हुए स्वयं दिखाई देते.