शहरों, विशेषकर महानगरों में रहने वाले लोगों में आपको बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिल जायेंगे, जिनके पास दो या दो से ज्यादा बैंक एकाउंट हैं. एक समय तक इससे कोई ख़ास परेशानी नहीं होती थी.लेकिन हाल के सालों में आईटीआर भरने की बढ़ी अनिवार्यता,जीएसटी की नियमित एकाउंटिंग जैसी तमाम जरूरी हो गयी वित्तीय और कानूनी गतिविधियों की वजह से कई किस्म की जटिलताएं बढ़ी हैं.इन सबको देखते हुए एक से ज्यादा बैंक एकाउंट,विशेषकर तब,जब ये गैरजरूरी हों,समझदारी नहीं सिरदर्द बनने हैं.हां,अगर आप व्यापार करते हैं,लेनदेन के कई अलग अलग संदर्भ हैं,इनके लिए आपने कई कंपनियां बनाई हुई हैं.तब तो एक ही अकाउंट तमाम किस्म के घालमेल और उलझनें पैदा करेगा.ऐसे में अलग अलग कंपनियों या कारोबारों के लिए अलग अलग एकाउंट ही जरूरी हैं.लेकिन अगर आप एक सामान्य नौकरीपेशा जिंदगी जीने वाले या कोई छोटा-मोटा अपना काम करने वालों में से हैं और तब भी आपके पास एक से ज्यादा एकाउंट महज इसलिए हैं कि आपने पिछली नौकरी तो बदली, लेकिन पिछली नौकरी की सैलरी जिस एकाउंट में आ रही थी,वह एकाउंट आज भी बरकरार है सिर्फ इसलिए क्योंकि आपको उसे बंद कराने के लिए बैंक तक जाने में आलस आ रहा है. इसी तरह आपने किसी कंपनी के साथ कोई काम करने के लिए अपने शेष कारोबार से अलहदा एक एकाउंट खोला था,लेकिन अब वह काम नहीं रहा मगर एकाउंट मौजूद है अथवा आपको लगता है कि कई बैंक एकाउंट होने से सामने वाले पर आपकी मजबूत आर्थिक हैसियत का रौब पड़ता है तो यकीन मानिए आप अपने आपको मुसीबतों के चक्रब्यूह में फंसा रहे हैं,वह भी बिना किसी जरूरत के,महज अपनी अज्ञानता या आलस के चलते.ऐसा मत करिए.