पति पत्नी विवाद अकसर आपे से बाहर हो जाते हैं और या तो पत्नी अपने को आग लगा लेती है या पति उसे मार डालता है. दिल्ली के आदर्श नगर के अजित कुमार का अपनी सुंदर सलोनी सी पत्नी शालिनी से विवाद इतना बढ़ा कि उस ने पहले तो उस का गला घोंट दिया फिर दूसरी मंजिल से उसे नीचे फेंक दिया. यह एहसास होने पर कि अब उन की बेटी का खयाल रखने वाला कोई न होगा, पुलिस के पहुंचने से पहले उसे भी मार डाला.

पतिपत्नी विवाद पुराने हैं.तब से चल रहे हैं जब विवाह की संस्था शुरू हुई होगी पर अब इस युग में भी जब लोग अपनी समस्याएं हिंसा से नहीं, मेज पर सुलझाते हैं, पत्नियों की हत्याएं जताती हैं कि पतिपत्नी के संबंधों में अभी भी बहुत कुछ संभलना बाकी है.

पहले अधिकांश पत्नियां पतियों की ज्यादतियों को नियति मान कर चुप हो जाती थीं पर अब वे उग्र हो जाती हैं. मातापिता अब बेटियों का साथ जम कर देते हैं और बातबात में नए कानूनों का हवाला दिया जाता है. पति अपनी मर्दानगी दिखाता है, पत्नी पुलिस का रोब दिखाती है. दोनों के मातापिता आग पर पैट्रोल छिड़कते हैं.

जिस तरह पतिपत्नी संबंधों में हिंसा का इस्तेमाल हो रहा है और पुलिस केस बन रहे हैं, उतने तो शायद पैसे के लेनदेन पर भी नहीं बन रहे. लोग शांति से संपत्ति और कर्ज के मामले सुलटा लेते हैं पर विवाहों के मामलों में अति हो रही है. इन में टैनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस व रिया पिल्लै जैसे मामले भी हैं और प्रीति जिंटा व नेस वाडिया जैसे भी. इस में शक नहीं कि इस का एक कारण औरतों में आ रही नई जाग्रति है. वे अब अपने को कमजोर समझने को तैयार नहीं. दूसरा कारण यह भी है कि यदि पति पत्नी की मांगों को पूरा करने में असमर्थ हो तो विवाह के फैसले का दोष औरतें पतियों पर मढ़ती हैं. ज्यादातर मामलों में पत्नियों की मांग होती है कि अगर दूसरी औरतों के पति कमा सकते हैं तो उन का पति क्यों नहीं?

अब पति अपनी मर्दानगी रोब झाड़ने के लिए नहीं अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. पत्नी यदि रातदिन कोई मांग करे तो पति चाह कर भी पूरा नहीं कर पाता. बहुत थोड़े से पतिपत्नियों में विवाद पत्नी से पैसे मांगने या पति के दूसरी औरत से संबंध पर होता है. आज का पति डरासहमा रहता है और पत्नी हावी रहती है.

दिल्ली में हुई घटना के बाद अब 2 परिवार लगभग नष्ट हो जाएंगे. पत्नी के परिवार वालों को सदा सदमा रहेगा कि उन की बेटी व नातिन नहीं रही. वहीं, पति के परिवार वालों को अब बेटे की करतूत की वजह से जेलों व अदालतों से जूझना होगा.

विवाह को खेल समझने का बड़ा कारण यह है कि विवाह के बारे में हलकीफुलकी जानकारी के आधार पर शादियां हो रही हैं. लड़कियों को लगता है कि विवाह के बाद सपनों का कोई शहर उन के इर्दगिर्द उग आएगा. लेकिन जब वास्तविकता की धरातल से सामना होता है तो ज्यादातर लड़कियां बिफर जाती हैं और शिकार पति होते हैं. अंतत: नुकसान सब को होता है. दोनों के परिवार वालों को और खुद पतिपत्नी व बच्चों को. विवाह को गंभीरता से लें. विवाह बिना जीवन अधूरा है, पत्नी का भी उतना ही जितना पति का.

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