Divorce : आज के समय में शादी करना उतना मुश्किल नहीं है जितना शादी को निभाना क्योंकि पहले जब एक बार शादी हो जाती थी तो पत्नी हजारों मुश्किलों के बावजूद पति का घर नहीं छोड़ती थी. कहते हैं, शादी एक समझौता है और यह समझौता दोनों तरफ से होता है जिस के लिए सहनशीलता, एकदूसरे का सम्मान, एकदूसरे पर विश्वास ही पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के दौर में जबकि ज्यादातर औरतें आत्मनिर्भर हैं, पति के टक्कर का कमाती हैं, स्वाबलंबी हैं, ऐसे में शादी के रिश्ते को बनाए रखने के लिए पति और पत्नी दोनों में ही सहनशीलता और विश्वास की कमी आ जाती है और स्वाभिमान से ज्यादा अभिमान बीच में आ जाता है.
वजह क्या है
आज के समय में न तो कोई किसी से दबना चाहता है, न तो कोई किसी को अपनेआप से कम समझता है, जिस की वजह से शादी के कुछ महीनों बाद ही पतिपत्नी में प्रौब्लम शुरू हो जाती है। कभी वह बहस तक सीमित रहती है, तो कभीकभी मारपीट तक पहुंच जाती है. धीरेधीरे यह प्यारभरा रिश्ता कड़वाहट में बदल कर तलाक तक पहुंच जाता है.
अगर फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो यहां पर भी 15 से 25 साल पुराने शादीशुदा रिश्ते टूटने की कगार पर हैं क्योंकि कोई भी अपनेआप को कमतर नहीं समझता. यही वजह है कि कई सारे रिश्ते जैसे ऐश्वर्या अभिषेक, गोविंद सुनीता, मलाइका अरबाज, ऋतिक सुजेन आदि के शादीशुदा रिश्ते कड़वाहट से गुजर रहे हैं.
दरकते रिश्ते
शादी में कड़वाहट के बावजूद तलाक न ले कर बिना मन और मजबूरी में बच्चों की खातिर एक ही घर में अजनबी की तरह रहना और एकदूसरे को नापसंद करते हुए भी रिश्ता निभाना कहां तक सही और कहा तक आसान है? क्या उन टूटे रिश्तों में रहने वाले पतिपत्नी के बच्चे ऐसे मांबाप के साथ खुश रह पाएंगे, जिन मांबाप में खुद ही प्यार नहीं है? क्या वे अपने बच्चों को सुरक्षित भविष्य दे पाएंगे? क्या ऐसे मांबाप के साथ बच्चे खुश रहेंगे? पेश हैं, इसी सिलसिले पर एक नजर :
जब प्यार के बीच झगङा होने लगें
कई मातापिता जो एक समय में प्यार करने वाले पतिपत्नी थे, एकदूसरे के लिए जान देने वाले जीवनसाथी थे, वे लगातार झगड़ों के चलते अब एकदूसरे का मुंह भी नहीं देखना चाहते. लेकिन फिर भी बच्चों की खातिर एकदूसरे के साथ रहने को मजबूर हैं क्योंकि ऐसे लोगों का मानना है कि अगर वे तलाक ले लेंगे तो इस का असर बच्चों पर पङेगा. बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा.
देखा जाए तो वे अपने तरीके से सही भी सोच रहे हैं क्योंकि अपने बच्चों को अपने आपस के झगड़े और तनाव से दूर रखना हर मातापिता चाहते हैं. लेकिन एक ही घर में एक ही साथ रहने वाले पतिपत्नी और बच्चे क्या इस तनाव से बेखबर रह सकते हैं? मांबाप के बीच का झगड़ा, गालीगलौच और तनाव क्या बच्चों के मानसिक स्तर पर बुरा प्रभाव नहीं छोड़ते? ऐसे तनावपूर्ण माहौल में जहां मांबाप एकदूसरे को जरा भी पसंद नहीं करते और हमेशा एकदूसरे को ताने मारते रहते हैं, ऐसे घरों में क्या बच्चा खुश रह पाएगा?
ऐक्ट्रैस मलाइका अरोङा का दर्द
हाल ही में ऐक्ट्रैस मलाइका अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन का बेटा भी चाहता था कि मलाइका अपने पति से अलग हो जाएं क्योंकि उन का बेटा अपनी मां को दुखी या रोते हुए नहीं बल्कि खुश देखना चाहता था. मलाइका के अनुसार, अरबाज से तलाक के बाद उन के बेटे ने हमेशा उन का साथ दिया. यहां तक कि दोनों ने साथ मिल कर रैस्टोरेंट भी शुरू किया.
वहीं सोहेल खान की पत्नी ने भी अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वे अपने बेटे से कुछ नहीं छिपातीं बल्कि अपनी हर बात अपने बेटे से शेयर करती हैं.
सोहेल की पत्नी के अनुसार, सोहेल से तलाक के बाद उन का बेटा हमेशा उन के साथ रहा और अपने पिता को भी उस ने पूरी इज्जत और सम्मान दिया क्योंकि बेटा चाहता था कि वे अपनी जिंदगी जीना शुरू करें, बजाए दुखी होने के.
कैसे खत्म हो मनमुटाव
इन दोनों की बातों से यही लगता है कि अगर पतिपत्नी बच्चों की खातिर साथ रह भी जाते हैं तो मांबाप के बीच मनमुटाव कभी खत्म नहीं होगा और न ही उन के बीच प्यार वाला रिश्ता फिर से बन पाएगा.
अगर ऐसे मांबाप जो बच्चों की खातिर तलाक न ले कर एकदूसरे से नफरत के बावजूद साथ में रहते हैं, ऐसा सोचते हैं कि तलाक न ले कर वे बच्चों पर एहसान कर रहे हैं। उन के तलाक न लेने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा, तो वे गलत सोच रहे हैं. उस के बजाए अगर पतिपत्नी बिना तलाक लिए भी अलग रह कर बच्चों का पालनपोषण करते हैं तो बच्चों का भविष्य ज्यादा सुरक्षित रहेगा क्योंकि हो सकता है कि मांबाप के खराब रिश्तों को देखने के बाद वे खुद भी शायद भविष्य में शादी के खिलाफ हो जाएं क्योंकि उन्होंने अपने मांबाप को शादी के बाद हमेशा लड़तेझगड़ते ही देखा है.
वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता
लिहाजा, मांबाप को अगर सही में बच्चों की चिंता है तो अपने झगड़े को साइड में रख कर बच्चों की खातिर ही सही अगर तलाक नहीं भी लेना चाहते तो कम से कम अलग हो कर बच्चों को सारी सचाई बता कर ठोस निर्णय के साथ अपनी आगे की जिंदगी जीना शुरू करें क्योंकि वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता और जिंदगी भी बारबार नहीं मिलती, इसलिए इसे लड़झगड़ कर या रोपीट कर जाया न करें. जिंदगी में आगे बढ़ें, रास्ते अपनेआप बन जाएंगे.