सरकार को ड्रग व्यापार पर नियंत्रण करना चाहिएमगर वह लगी है धर्म बचाने में. सरकारी मशीनरी को कफ सिरप और आई ड्रौपों से होने वाली मौतों की चिंता नहींएक हिंदू लड़की के धर्म परिवर्तन कर के मुसलिम लड़के से शादी करने पर चिंता होती रहती है.

पहले जांबिया से खबरें आईं कि वहां सैकड़ों बच्चों की मौत हरियाणा की एक कंपनी का कफ सिरप पीने से हुई. फिर उजबेकिस्तान से आईं. अब डेलसम फार्मा के आई ड्रौपों से होने वाले अंधेपन के मामले सामने आ रहे हैं. यह दवा अमेरिका के कईर् शहरों में बिक रही है.

भारतीय फार्मा कंपनियां आजकल बहुत पैसा बना रही हैं. दुनियाभर को सस्तीकौंप्लैक्स दवाएं बेचने में भारत ने एक खास जगह बना ली है. भारत में बनी दवाओं को भारतीयों पर प्रयोग करना बहुत आसान है क्योंकि यहां की जनता वैसे ही भभूतमंत्रोंहवनों में विश्वास करने वाली है और यदाकदा जब लोग कैमिस्ट से किसी रोग की दवा लेते हैं तो होने वाले नुकसान पर सरकारी अस्पताल के डाक्टर चिंता नहीं करते. वे एक और जने की असमय मौत या गंभीर नुकसान को कंधे उचका कर टाल देते हैं.

जो देश आयुर्वेदहोम्योपैथीयूनानीऔर्गेनिकयोगासनों और पूजापाठ को इलाज मानता हो तथा मौत या शारीरिक नुकसान को भगवान का लिखा हुआ मानता है जो होना ही हैवहां किसी ड्रग का ट्रायल तो जरूरी है ही नहीं. यहां दवाएं टिन शेड वाले कारखानों में मैलेकुचैले मजदूरों के हाथों से बनती हैं. हांबाहर के दफ्तरों में सफेद कोट पहने लोग मंडराते दिख जाएंगे. अब पैकिंग भी बढि़या है. सरकारी एजेंसियां सर्टिफिकेट ऐप्लिकेशन पर रखे पैसों के हिसाब से देती हैंदवाओं की क्वालिटी के आधार पर नहीं.

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