21वीं सदी को युवाओं की सदी माना जाता है. इन युवाओं में विशेषरूप से उस पीढ़ी की चर्चा होती है, जो 1980 से 1995 के बीच जन्मी है. यही पीढ़ी इस वक्त पढ़लिख कर अपनी काबिलीयत दिखाने के लिए भारत समेत पूरी दुनिया में आतुर है. इस पीढ़ी को वाई जैनरेशन या फिर सहस्राब्दि युवा (मिलेनियल्स) कह कर संबोधित किया जाता है. इन 20 से 35 वर्ष की उम्र के बीच करीब 35-36 करोड़ मिलेनियल्स के बल पर भारत खुद को एक युवा देश कहता है. दुनिया के दूसरे देशों में भी इन की यह कह कर चर्चा की जाती है कि अब दुनिया बनाने या बिगाड़ने की जिम्मेदारी इन्हीं मिलेनियल्स के कंधों पर है. पर जिम्मेदारी के जिस जिक्र के साथ इन सहस्राब्दि युवाओं की ओर देखा जाता है, उसे ले कर कई संदेह पूरी दुनिया समेत भारत में भी पसरे हुए हैं.

बदलती सोच के नए युवा

यह सिर्फ कहने की बात नहीं है कि आज जमाना बदल चुका है. अगर किसी युवक या किसी युवती से पूछा जाए कि कैसा चल रहा है, तो वे यही कहेंगे, मस्ती है, कोई टैंशन नहीं. चाहे उन की जिंदगी में पढ़ाई और कैरियर को ले कर काफी तनाव हो, पर उन की कोशिश होती है कि वे हमेशा अपना मुसकराता चेहरा सामने रखें. उन के मन में यह भरोसा बना हुआ है कि आज नहीं तो कल, उन्हें भी अपने टैलेंट को दिखाने का मौका मिलेगा और तब वे दिखा देंगे कि वे क्या हैं.

ऐसा वे साबित भी करते हैं. परिवार नई तकनीक से जुड़ी चीजों की लेटैस्ट जानकारी इन्हीं किशोरों या युवाओं के पास होती है बल्कि कहना चाहिए कि मोबाइल या स्मार्टफोन के नएनए फंक्शंस से ले कर ऐप्स के बारे में बड़े लोग इन्हीं से सीखते हैं.  फैशन हो या फिल्म, फेसबुक हो या ट्विटर, सोशल मीडिया के हर प्लेटफौर्म के बारे में सब से पहले इसी नई पीढ़ी को नई बातें पता चलती हैं. पर इस के बावजूद, आजकल के किशोरों व युवाओं को समझाने व सिखाने की जरूरत महसूस होती है.

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