Madhya Pradesh : बीती एक दिसम्बर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जब विदेश यात्राओं से वापस लौटे तो उनके हाथों में 78 हजार करोड़ की भारीभरकम विदेशी निवेश राशि थी. इस एक और उल्लेखनीय उपलब्धि से उन्होंने साबित कर दिया है कि अब से एक साल पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय जो आशंकाएं प्रदेशवासियों के मन में थीं वे पूरी तरह निर्मूल सिद्ध हो चुकी हैं जो महिलाएं मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना को लेकर चिंतित थीं उनके चेहरे तो उस वक्त और खिल उठे जब साल 2024 की आखिरी किश्त उनके खातें में आना सुनिश्चित हो गई .
हर तबके की महिलाओं का रखा जा रहा ख्याल
लेकिन बात या तारीफ अकेले इस योजना की ही नही बल्कि उन योजनाओ की भी जरुरी है जिनके माध्यम से प्रदेश की महिलाओं को चौतरफा लाभ मिल रहा है . सरकार ने अपने वादे तो पूरे किये ही लेकिन समय समय पर कुछ ऐसे कदम भी उठाये ऐसे फैसले भी लिए जो सुखद रूप से चौंका देने बाले थे . महिलाओं के सम्मान स्वाभिमान और साशक्तिकरण की जो और जितनी योजनायें मध्यप्रदेश में अमल में आ रही हैं उनकी तारीफ अंतर्राष्ट्रीय एजेंसिया भी कर रही हैं .
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यह भी कम हैरत की बात नहीं कि जितने वादे सरकार ने किये नहीं उससे ज्यादा पूरे कर दिए . यह बात मुख्यमंत्री मोहन यादव को खासतौर से महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय बनाती है क्योंकि उन्होंने अपनी योजना में हर तबके की महिला पर तबज्जो दी है और यह सिलसिला और रफ़्तार अभी थमते नहीं दिख रहे हैं . जब एक साल में महिलाओं के लिए इतना कुछ हो गया तो आने बाले 4 सालों में तस्वीर क्या होगी इसका सहज अंदाजा इन चुनिन्दा योजनाओं को देख लगाया जा एकता है.
सरकारी नौकरियों में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी
एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत मध्यप्रदेश के मुंख्यमंत्री मोहन यादव ने महिलाओं को एक और उपहार दिया है , सरकारी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का अब राज्य में उन्हें 33 के बजाय 35 फीसदी आरक्षण नौकरियों में मिलेगा . इससे उन लाखों महिलाओं को रोजगार की आस बंधी है जो शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी ढूंढ रही हैं . बड़ी तेजी से महिलाएं पढ़ लिखकर कामकाजी और नौकरीपेशा हो रही हैं यानी सशक्त हो रही हैं इस निर्णय से उनके स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने का सपना पूरा होगा .
अमल में आ रही महिला फर्स्ट नीति
मध्यप्रदेश में जिस तेजी से मेडिकल कालेजो की संख्या बढ़ रही है उसी अनुपात में प्रोफेसर्स की भी मांग बढ़ रही है . इस कमी को पूरा करने प्रदेश सरकार ने प्रोफेसर्स के पद की अधिकतम उम्र सीमा 40 से 50 साल कर दी है . इस महत्वपूर्ण निर्णय से मेडिकल कालेजों के प्रोफेसर्स के पद भरने में तो सुविधा होगी ही साथ ही महिला डाक्टरों को सुविधाजनक व सम्मानजनक पद भी मिलेगा . जो लेडी डाक्टर्स अध्यापन कार्य की इच्छुक हैं उन्हें यह मौका देकर सरकार ने उनके व्यवसाय के प्रति आभार व सम्मान ही प्रदर्शित किया है . इसके भी पहले सरकार महिलाओं को पुलिस विभाग में 33 फीसदी और निकाय चुनाव व शिक्षक भर्ती में 50 – 50 फीसदी आरक्षण देते महिला फर्स्ट की अपनी नीति पर अमल की राह में एक और कदम बढ़ा चुकी थी .
गर्भवती महिलाओं को 100 रु प्रतिदिन
एक और अहम फैसले के तहत मध्यप्रदेश सरकार गर्भवती महिलाओं को 100 रु प्रतिदिन का आर्थिक लाभ देगी. गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 173 प्रति लाख है जो राष्ट्रीय औसत 97 प्रति लाख से लगभग दोगुनी है . आदिवासी इलाकों में यह विसंगति ज्यादा है इसलिए प्रयोग के तौर पर 3 आदिवासी बाहुल्य जिलों झाबुआ , अलीराजपुर और बडवानी से इस की शुरुआत की जा रही है .खासतौर से दूरस्थ अंचलों की श्रमिक महिलाओं के लिए यह फैसला जोखिम से मुक्ति और राहत देने बाला है . क्योंकि गर्भवती महिलाएं आर्थिक कारणों से अस्पताल में भर्ती होने से कतराती हैं . महिलाओं में भी लोकप्रिय हो चुके मुख्यमंत्री मोहन यादव की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता ही इससे प्रगट होती है . क्योंकि इससे शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर पर अंकुश लगेगा जो प्रदेश के स्वास्थ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण कदम है .
सेनिटेशन व हाइजिन पर ध्यान
बात महिलाओं की हो तो मध्यप्रदेश सरकार किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हटती . हर वर्ग की महिलाओं की जरूरतों का ख्याल रखने वाली प्रदेश सरकार ने महिला हित में एक और जरुरी कदम उठाते सेनिटेशन व हाइजीन योजना के अंतर्गत 19 लाख से भी ज्यादा बालिकाओं के बेंक खातों में 57 करोड़ 18 लाख रु डाले. देश का यह पहला राज्य है जहाँ इस जरूरत पर न केवल आर्थिक सहायता दी गई बल्कि किशोरियों को जागरूक करने आयोजन भी किये गए . अकेले राशि ही नहीं बल्कि महाविद्यालयीन छात्राओं को साफ़ सफाई की अहमियत और उनके तौर तरीकों के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है . इस योजना का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि यूनिसेफ ने भी इसकी तारीफ की है
खेलकूद में भी अभूतपूर्व प्रोत्साहन
डबल इंजन की सरकार की रफ्तार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि स्पोर्ट्स में भी महिलाओं को पर्याप्त प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिससे खेल गतिविधियों में युवतियों की रूचि बढ़ रही है . खेलकूद की अहमियत कभी किसी सबूत की मोहताज नहीं रही इसमें सेहत भी है , मनोरंजन भी है और अब केरियर भी है . राज्य की जो युवतियां राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक हासिल कर रही हैं उन्हें सम्मान व राशि देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है .
आर्थिक व शारीरिक रूप से कमजोर खिलाडियों के लिए सरकार ने जो सराहनीय कदम उठाएं हैं उनमें प्रमुख हैं पैरालंपिक खेलों में प्रदेश व देश का नाम रोशन करने बाले यानी पदक विजेताओं को 1 – 1 करोड़ की नगद प्रोत्साहन राशि के साथ सरकारी नौकरी देना . इसी तरह खिलाडी प्रोत्साहन योजना के तहत श्रमिक वर्ग के बच्चों को 5 से लेकर 50 हजार तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है .
इन कुछ और ऐसे कई उदाहरणों से मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने साबित कर दिया है कि वह महिलाओं के सम्मान स्वाभिमान और सशक्तिकरण का कोई मौका नहीं चूकने बाली . अगर प्रदेश की महिलाएं सक्षम होगीं और उन्हें सरकारी प्रोत्साहन सम्मान व सहायता इसी तरह दी जाये तो तय है प्रदेश और देश के विकास में वे किसी से उन्नीस नहीं ठहरने बाली .