शुभ्रा को नौकरी से रिजाइन देना पड़ा, क्योंकि वह प्रैगनैंट थी और डाक्टर ने उसे आराम की सलाह दी थी. वैसे भी कुछ कंपनियां प्रैगनैंट महिलाओं को नौकरी पर रखना पसंद नहीं करतीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण वे अब जौब पर पूरा ध्यान नहीं दे पाएंगी, जबकि वे अपनी घर व बाहर दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना जानती हैं. फिर भी उन की फैमिली प्लानिंग उन के करियर के बीच बाधा बन जाती है. यही डर उन्हें फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचने नहींदेता.

क्या कहता है सर्वे

लंदन बिजनैस स्कूल के नए सर्वेक्षण के अनुसार 70% महिलाएं करियर से ब्रेक ले कर चिंतित हैं. उन के लिए करियर ब्रेक लेने का मतलब आमतौर पर मातृत्व अवकाश के लिए समय निकालना या फिर बच्चों की देखभाल के लिए कार्यस्थल से पीछे हटना है.

पिछले साल लेबर पार्टी की रिसर्च के अनुसार 50 हजार से अधिक महिलाओं को मातृत्व अवकाश से लौटने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया.

कंपनियां खोती हैं बड़ा टेलैंट

आज पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं. उन्होंने अपने टेलैंट से साबित कर दिया है कि वे अकेले ही सबकुछ कर सकती हैं. उन्होंने अपनी घर तक ही सिमटी इमेज को बदला है. आइए, जानते हैं कुछ ऐसी शख्सीयतों के बारे में जिन का नाम दुनियाभर में मशहूर है:

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इंदिरा नूई पेप्सिको कंपनी की प्रैसिडैंट व सीईओ रहीं और अपनी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी हो चुकी हैं.

चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ रही हैं. इन के नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने भारत में बैस्ट बैंक रीटेल का अवार्ड जीता है. आजकल वैसे चंदा कोचर कई घोटालों में आरोपी हैं.

मिताली राज महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रही हैं, जिन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट में सब से ज्यादा रन बनाए, जिस के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. ऐसे में अगर हम महिलाओं को कम आंकते तो वे कैसे देशदुनिया में नाम कमा पातीं?

सवाल यह है कि क्यों कंपनियां अपनी इतनी होनहार कर्मचारियों को खो रही हैं? इसलिए कि मां बनने के बाद वे अपने बच्चे की जिम्मेदारियों के चलते कंपनी में अच्छी तरह काम नहीं कर पाएंगी? यह सचाई नहीं है. वे बखूबी सबकुछ अच्छी तरह मैनेज कर सकती हैं. कंपनियां उन से इस मौके को छीन कर टेलैंट को घर तक ही सीमित रखने पर मजबूर कर रही हैं. उन्हें अपनी सोच बदलनी होगी, तभी देश आगे बढ़ कर सोच पाएगा.

बदली है महिलाओं की सोच

पहले जहां महिलाएं घर की चारदीवारी तक सीमित रहती थीं और घर के पुरुषों पर ही परिवार की जिम्मेदारी होती थी, लेकिन अब समय व स्थितियां बदलने से वे भी घर व बाहर दोनों की जिम्मेदारियां बखूबी निभाने लगी हैं. अब वे परिवार संग कंधे से कंधा मिला कर चलने लगी हैं. उन का फोकस अब करियर बनाने पर ज्यादा होने लगा है.

फैमिली प्लानिंग में देरी

हाई क्वालिफिकेशन को यों ही घर तक सीमित रखना आज की नारी को गंवारा नहीं. वह शादी भी तब करना पसंद करती है जब उस काबिल हो जाती है. उसे किसी चीज के लिए किसी के आगे मुहताज होना अच्छा नहीं लगता. इसी कारण जब वह मन बना कर अपने काबिल जीवनसाथी ढूंढ़ लेती है तभी शादी करती है ताकि किसी भी तरह की कोई फाइनैंशियल प्रौब्लम आड़े न आए.

शादी होने के बाद परिवार वालों की ओर से फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचने का जोर डलने लगता है. लेकिन आज की जैनरेशन इस में देरी करने में ही सम झदारी सम झती है खासकर कामकाजी महिलाएं. वे नहीं चाहतीं कि फैमिली प्लानिंग के कारण उन की जौब छूटे. इसी डर से वे इसे डिले करती हैं.

पैसा कमाने की ज्यादा चाह भी सही नहीं

दिल्ली के केशव पुरम इलाके में रहने वाली प्रीति जो आईटी सैक्टर में जौब करती हैं, के हसबैंड भी इसी प्रोफैशन में हैं. उन की शादी को 6 साल हो गए हैं. अब जब उन्हें लगा कि उन की लाइफ सैटल हो गई है तो उन्होंने बच्चे के बारे में सोचा. मगर उन्हें सफलता नहीं मिली. डाक्टरी चैकअप में उन्हें पता चला कि

उम्र ज्यादा हो जाने व अन्य कारणों के चलते उन्हें मां बनने में परेशानी आ रही है. अब यही सोचसोच कर कि कब वे मां बन पाएंगी उन की लाइफ स्टै्रसफुल हो गई है. आज उन के पास बेशुमार पैसा तो है मगर वे करियर व पैसे की अंधी दौड़ के कारण मातृत्व सुख से वंचित हैं.

वर्क ऐट होम का विकल्प भी

अगर आप सिर्फ यह सोचते हैं कि जौब का मतलब सिर्फ औफिस में जा कर ही जौब करना होता है तो ऐसा नहीं है. आप घर पर काम कर के भी जौब जारी रख सकती हैं.

आज तो इंटरनैट की दुनिया में नौकरियों की कमी ही नहीं है. बस मन में कुछ करने का जज्बा और आप के पास हुनर का होना जरूरी है. इस से आप अपने करियर को भी ब्रेक लगने से रोक सकती हैं और इस से फैमिली प्लानिंग भी प्रभावित नहीं होगी. जैसे आप घर बैठे फ्रीलांसिंग, टिफिन सिस्टम, ट्यूशन पढ़ाना, ट्रांसलेशन वर्क, ब्लौगिंग आदि काम कर सकती हैं. यह आप के करियर को आगे बढ़ाने के साथसाथ धन कमाने का अच्छा माध्यम बन सकता है. तो अब यह न सोचें कि शादी व बच्चे से आप के करियर में ब्रेक लगेगा.

करियर की खातिर नहीं की शादी

राजनीतिक व गैरराजनीतिक जगत की ऐसी कई जानीमानी हस्तियां हैं, जिन्होंने करियर की खातिर शादी नहीं की:

तब्बू: भारतीय सिनेमा की जानीमानी ऐक्ट्रैस तब्बू, जो इस समय 47 साल की हैं, पिछले 2 दशकों में विभिन्न शैलियों की कई फिल्मों में अभिनय किया. उन्हें शादी के बंधन में बंध कर बच्चे पैदा करने की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि वे अभी अपने करियर पर फोकस जो करना चाहती हैं.

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सुष्मिता सेन: सुष्मिता सेन 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने 2 लड़कियों को गोद लिया. वे उन के साथ ही क्वालिटी टाइम स्पैंड करना चाहती हैं. किसी भी तरह के बंधन में बंधना उन्हें फिलहाल पसंद नहीं. वे रिलेशनशिप में भी रह चुकी हैं. वे अपनी शर्तों पर जीना पसंद करती हैं और करियर में ऊंचाइयां छूना चाहती हैं.

मायावती: मायावती जो 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, ने अपने राजनीतिक करियर में ब्रेक न लगे, इसलिए शादी नहीं की.

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