लेखिका- “ज्योत्सना गुप्ता अग्रवाल”
यूं तो हर मां योद्धा होती है तभी तो मृत्यु के मुंह में जाकर नव जीवन को जन्म देती है,ऐसा दुनिया में कोई काम नहीं जो मां ना कर सके और जब यही मां कोरोना योद्धा के रूप में सामने आती है तो क्या ही कहना…..ऐसी ही एक कोरोना योद्धा मां की कहानी मैं प्रस्तुत करने जा रही हूं……
मेरी पड़ोसन और बहुत ही अच्छी मित्र ”सुमन वर्मा जी” “स्वास्थ विभाग प्रदेश सरकार” ANC/PNC के पद में कार्यरत हैं घर में दो छोटी प्यारी बच्चियाँ और बूढ़े सास-ससुर,दादी सास भी हैं इन सब की ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह वहन करके ये रोज़ सुबह अपने कर्तव्य को धर्म समझ कर पूरा करने निकल पड़ती हैं.
कभी मरीज़ों के सैम्पल कलेक्ट करने तो कभी क्वोरंटीन मरीज़ों की स्क्रीनिंग करने, इस वर्ष टीकाकरण और मरीज़ों को कोरोना किट देकर होम आइसोलेट करके उनकी तबियत का जाएजा लेना…चिंतित यें भी होती है अपने परिवार की लिए फिर भी पूरी हिम्मत और जोश के साथ वो अपनी बेटियों का पूरा ख़्याल रख रहीं हैं.
सुमन कहतीं हैं की बेटियों का प्यार,परिवार का साथ ही उन्हें हिम्मत देता है मरीज़ों का स्वस्थ होकर मुस्कुराता हुआ चेहरा उन्हें हौसला देता है वो मां है ज़ाहिर है वात्सल्य भाव तो उनकी रग रग में है चाहे घर पर बेटियां हों या कार्यस्थल पर मरीज़, वो दोनो का ख़्याल जी जान से रखतीं हैं वो भी अपनी प्यारी सी मुस्कान के साथ, बिना किसी संक्रमण के डर के.
वो अपना कर्तव्य भलीभांति जानती हैं,साथ ही जान कि क़ीमत पहचानती हैं इसलिए उनकी कोशिश हमेशा यही रहती है कि वो एक कोरोना योद्धा के रूप में अपना ज़्यादा से ज़्यादा योगदान दे सकें सुमन कहतीं हैं के ”सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥” इसी बात को ज़हन में रखकर ही वो अपना कार्य करती है सब रोगमुक्त हों,सब सुखी हों…..
सलाम है इन मां के जज़्बे इनकी बहादुरी को, इनके कार्यकुशलता इनकी कर्तव्यनिष्ठा को जो इतने कठिन समय में अपना परिवार और स्वास्थ्य की परवाह किए बिना हरसंभव प्रयासरत हैं सिर्फ़ इसलिए कि हम सुरक्षित रहें हमारा देश सुरक्षित रहे………एक मां की कलम से कोरोना योद्धा मां को समर्पित