क्या आपने कभी मिट्टी की रोटी की कल्पना की है. नहीं न, क्योंकि आप को तो सुबह उठते ही बेड टी, हैल्दी ब्रेकफास्ट , लंच व डिनर जो मिल जाता है. मन करा तो खा लिया वरना आधा अधूरा ही छोड़कर व्यस्त हो गए अपनी ज़िन्दगी में. जिससे खाना खराब होने व बासी होने के कारण फेंकने के सिवाए कोई दूसरा औप्शन नहीं रहता. अगर पसंद का हो भी तो खाना फ्रेश व गरम होना चाहिए. हमारी खाने को लेकर ख्वाइशे कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में ऐसा भी एक देश है, जहां के गरीब लोग पेट भरने के लिए 'मड कुकीज़ ' खाकर अपना गुजारा करते हैं. यह नज़ारा अच्छेअच्छों को रुला देता है.
आपको बता दें कि हैती कैरीबीयन देश है , जहाँ के गरीब लोग अपना पेट भरने के लिए 'मड कुकीज़ ' का सहारा लेते हैं, जो उन्हें बीमारियों की गिरफ्त में ही ले जाने का काम कर रही है. लेकिन कहते है न कि पेट भरने के लिए या फिर पेट की भूख को शांत करने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. यूनाइटेड नेशन्स के फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन के अनुमान के अनुसार, करीब 1.3 टन खाने योगय चीज़ें कचरे में फेंक दी जाती हैं और ये दुनियाभर में कई करोड़ लोगों का पेट भर सकती है.
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कैसे तैयार करते हैं मड कुकीज
हैती के लोग पहाड़ी मिट्टी को खुद के लिए वरदान समझते हैं. क्योंकि उनके पास हैल्थी चीज़ें खाने के लिए पैसे जो नहीं होते. इसलिए वे इसी पहाड़ी मिट्टी में पानी व वनस्पति तेल मिलाकर एक लेप तैयार करते हैं और फिर उसे बिस्कुट का आकार देकर धूप में सुखाकर उससे अपनी व अपने बच्चों की भूख को शांत करने का काम करते हैं. यही कारण है कि वहां के लाखों लोग कुपोषण के शिकार हैं.