न्ध्विपक्ष के भारी विरोध के बीच आखिरकार तीन तलाक बिल लोक सभा के बाद राज्य सभा में भी पास हो गया और इसी के साथ मुस्लिम महिलाओं के दुख, डर और त्रासदी को मुहरा बना कर मोदी सरकार ने अपनी राजनीति थोड़ी और चमका ली. लोक सभा में जहां बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में केवल 82 वोट पड़े, वहीं राज्य सभा में वोटिंग के दौरान पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह नया कानून बन गया. अब तीन तलाक गैरकानूनी होगा और दोषी को 3 साल जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.
बीते 5 सालों के एनडीए के कार्यकाल में इस बात की पुरजोर कोशिशें होती रहीं कि किसी तरह सामदामदंडभेद से मुसलमानों को बस में किया जा सके. उन के अंदर डर पैदा किया जा सके. दूसरे कार्यकाल में यह साजिश कामयाब हो गई. पहले मुसलमानों को आतंकी बना कर जेलों में ठूंसा गया, फिर मौब लिंचिंग के जरीए उन का उत्पीड़न किया गया, गोरक्षकों से उन्हें पिटवाया और मरवाया गया, उन्हें ‘जय श्रीराम’ का डर दिखाया गया और अब तीन तलाक के मुद्दे पर उन्हें जेल भेजने की पूरी तैयारी हो गई.
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तीन तलाक को संगीन अपराध घोषित किए जाने के बाद तीन तलाक की त्रासदी से गुजर रहीं या तीन तलाक के डर में जी रहीं मुस्लिम महिलाओं में भले ही खुशी की लहर हो या उन्हें लग रहा हो कि बस मोदी सरकार ही उन की सब से बड़ी हमदर्द है, मगर इस की तह में छिपी साजिश और इस के दूरगामी परिणामों का अंदाजा वे नहीं लगा पा रही हैं. सच यह है कि मुस्लिम समाज में स्त्रीपुरुष के बीच फूट पड़ गई है. भाजपा की मंशा भी यही थी. वह हमदर्दी जता कर, आंसू बहा कर एक समाज के निजी घेरे में घुस गई है.