दिल्ली की रहने वाली ट्रांसजेंडर नाज जोशी ने मौरीशस में मिस वर्ल्ड डाइवर्सिटी 2019 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन किया है. वह सामान्य महिलाओं के साथ किसी अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में जीतने वाली दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर भी हैं. आइये तमाम परेशानियों का सामना कर इस मुकाम तक पहुंचने वाली नाज की उपलब्धियों और जीवन में आई चुनौतियों पर डालते हैं एक नजर;

सवाल- आप को जीवन के प्रारम्भिक दिनों में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा था?

मेरा जन्म 31 दिसंबर 1984 को दिल्ली के शाहदरा इलाके में हुआ था. जब मैं 5 साल की थी तो मुझे घर से निकाल दिया गया क्यों कि मैं लड़कियों की तरह व्यवहार करती थी. मांबाप को लगता था कि उन के इस बेटे को दुनिया स्वीकार नहीं करेगी. मैं लड़का कम और लड़की अधिक लगती थी. समाज के तानों के डर से मांबाप ने मुझे मामा के यहां भेज दिया. मामा के यहां पहले से 7 बच्चों का परिवार था जहां मैं आठवीं बन कर गई थी और घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. उन के बच्चे पढ़ते नहीं थे बल्कि काम करते थे. मैं ने मामा जी से कहा कि मैं पढ़ना भी चाहती हूं. उन्होंने मेरा दाखिला स्कूल में करवा दिया मगर साथ में एक ढाबे में काम पर भी लगा दिया.

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मैं सुबह स्कूल जाती थी फिर दोपहर में ढाबे में काम करती. शाम को घर का काम करती और रात को होमवर्क कर थक कर सो जाती. सुबह फिर स्कूल चली जाती. 11 साल की उम्र तक इसी तरह जीवन जिया. मैं खुश थी कि मुझे पढ़ने को मिल रहा है. मगर एक दिन मेरे कजन भाई ने मेरा मौलेस्टेशन किया. मैं काफी इंजुयर्ड हो गई थी. होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया. बहुत सारे बैंडेज लगे हुए थे.

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