शादी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल होता है. भारत में शादी की कई रस्में निभाई जाती है. देखा जाए, तो ये रस्में महीनेभर चलती है. शादी से जुड़े फंक्शन मेंहदी, संगीत, प्री वेडिंग, हल्दी जैसे कई फंक्शन होते हैं. ऐसे में हर कोई चाहता है कि हमारे घर की यादगार शादी हो कि लोग इसे हमेशा याद रखें.
सेलिब्रिटीज की शादियों में लाखोंकरोड़ों खर्च होते हैं, हालांकि उनके पास पैसों की कमी नहीं है, तो कितने भी पैसे खर्च हो जाए, इससे फर्क नहीं पड़ता.. लेकिन मीडिल क्लास फैमिली भी शादी में बहुत पैसे खर्च करती है. आपने आसपास लोगों से सुना होगा या अपने घर में भी देखा होगा कि गार्डियन शादी में अपनी औकात से ज्यादा खर्च करते हैं. कुछ लोग शादी में खर्चे करने के लिए ही पैसे बचाते हैं, तो वहीं कुछ लोग कर्ज लेकर भी शादी में खर्च करते हैं. इतना ही नहीं जब शादी का बजट बढ़ने लगता है, तो लोग बैंक से भी लोन ले लेते हैं.
वेडिंग डेस्टिनेशन पर खर्च
मीडिल क्लास भारतीय पेरेंट्स की सोच होती है कि उनके बेटे या बेटी की शादी आलीशान हो. शादी की डेस्टिनेशन के अलग खर्चे होते हैं. लोकेशन के आधार पर इसके लागत भी अलगअलग होती है. छोटे बैंक्वेट, फाइवस्टारहोटल, हाल से लेकर फार्महाउस तक, इन जगहों की कीमत अलग होती है. लोग घर पर शादी के फंक्शन करने के बजाय वेडिंग डेस्टिनेशन का चुनाव करते हैं. अगर बड़े शहरो में आप शादी के लिए डेस्टिनेशन का चुनाव करते हैं, तो इसके लिए 25 से 50 लाख या इससे ज्यादा भी खर्च हो सकते हैं.
डेकोरेशन पर खर्च
एक डेकोरेशन का खर्च अलग, कई प्रकार के लैंप, मोमबत्तियों और सेंटरपीस से एंट्री को बेहतर बनाने से लेकर स्टेज और मंडप को कई फूलों की सजावट से लेकर कई तरह के औप्शन हैं.कुछ लोग तो एक्स्ट्रा डेकोरेशन भी करवाते हैं, हर बैंक्वेट या होटल सिल्वर से लेकर प्लैटिनम तक अलगअलग प्लान उपलब्ध कराता है और लोग अपनी पसंद के अनुसार चुनते हैं. इसमें भी लाख रुपए तक खर्च हो सकते हैं.
कैंटरिंग पर खर्च
शादी का कोई भी फंक्शन अच्छे खाने के बिना पूरा नहीं होता है. मेहमानों के स्वागत का अहम हिस्सा खाना होता है. कैंटरिंग में भी लोग जमकर पैसा खर्च करते हैं. स्ट्रार्टर से लेकर लंच या डिनर तक की व्यवस्था होती है. भारतीय शादियों में खाने से कोई समझौता नहीं किया जाता है. शादियों में सिर्फ इंडियन फूड ही नहीं बल्कि अलगअलग जैसे स्ट्रीट फूड स्टौल से लेकर इटैलियन फूड भी शामिल होता है. कैटरिंग का खर्च प्लेट की संख्या के हिसाब से अलग-अलग होता है. इसमें भी 2 लाख तक खर्च हो ही जाता है, अगर ज्यादा मेहमान आते हैं, तो खर्च ज्यादा भी हो सकते हैं.
कपड़े और गहने पर खर्च
खास तौर पर दूल्हा और दुल्हन के लिए पहनावे पर ज्यादा खर्च किए जाते हैं. लोग अपनी शादी के कपड़ों पर उतना ही खर्च करते हैं जितना वे केटरिंग पर करते हैं. ब्राइडल लहंगा और सूट के खर्चे से आप अंजान नहीं होंगे. मार्केट में ब्राइडल लहंगा की कीमत 20,000 से लेकर शुरू होती है, पसंद पर निर्भर करता है, लड़कियां 1 लाख रुपए के लहंगे भी खरीदती हैं. तो वहीं शेरवानी की कीमत भी महंगे होते हैं. शादियों में कपड़े खरीदना दूल्हादुल्हन तक सीमित नहीं है. इसमें एकदूसरे के परिवार और रिश्तेदारों को गिफ्ट देना होता है.
शादी ज्वेलरी के बिना पूरा नहीं होता है. मातापिता शादी के लिए बचपन से ही अपने बच्चों के लिए ज्वेलरी की व्यवस्था शुरू कर देते हैं. हालांकि दुल्हन के लहंगे के हिसाब से भी ब्राइडल सेट आता है, जो काफी महंगे मिलते हैं. शादी में और भी कई बड़ेछोटे खर्चे होते हैं, जिन्हें गिनाना मुश्किल है.
कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि भारतीय शादी पैसे की बर्बादी होती है. हालांकि लोग अपने शौक से करते हैं, तो ये उनका निजी मामला है, लेकिन न्यू कपल को इसमें समझदारी दिखानी चाहिए.
कई बार शादी में होने वाले खर्च की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है. ऐसे में शादी में बेफिजूल की खर्च न कर दैनिक जरूरतों पर ध्यान दें.
- न्यू कपल को जहां रहना है, उस जगह पर खर्च करें, अपने घर के लुक को चेंज करें.
- किचन या बाथरूम में जिस चीज की जरूरत है, उस पर खर्च करें.
- शादी में खर्च होने वाले पैसे को सेव करें, आपके फ्यूचर में काम आ सकता है.
- शादी के लिए छोटा फंक्शन रखें, मेहमानों की लिस्ट भी कम ही रखें. इससे आपका बचत होगा.
- शादी में पैसे बहाने के बजाय आप खुद की जरूरतों को समझें. कई बार पैसे की कमी के कारण कपल में खटास आने लगती है. ऐसे में आप बचत करें, जिससे इन परेशानियों से निपट सकें.