सरकार का रवैया
इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में एक अजीब सा डर का माहौल है. कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. सभी चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं. अंदर की बात तो यह है कि कई फिल्मकार राजनीतिक दखलंदाजी के चलते अपनी फिल्मों की पटकथा कोरोनाकाल में ही बदलने पर मजबूर हुए हैं.
फिल्म इंडस्ट्री में किस तरह डर का माहौल है इसे ताजातरीन घटनाक्रम से समझा जा सकता है. भाजपा के खिलाफ सदैव सोशल मीडिया पर मुखर रहने वाले अनुराग कश्यप, हंसल मेहता व तापसी पन्नू का रवैया अचानक बदल गया है. तापसी पन्नू तो अभिनेत्री कंगना की घोर विरोधी रही हैं.
वास्तव में पिछले दिनों अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू पर आयकर के छापे पड़े थे. उस के बाद से ये दोनों चुप रहने लगे हैं. यहां तक कि 2 दिन पहले एक अवार्ड लेते हुए तापसी पन्नू ने कंगना की तारीफ कर डाली तो वहीं अब हंसल मेहता और अनुराग कश्यप मिल कर एक फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं, जिस में अभिनेता व पूर्व भाजपा सांसद तथा सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता परेश रावल के बेटे हीरो होंगे.
कहने का अर्थ यह कि अब अनुराग कश्यप व हंसल मेहता मिल कर परेश रावल के बेटे का भविष्य संवारेंगे. इतना ही नहीं कोरोना के संकट के दौरान हर फिल्मकार की समझ में यह बात आ गई है कि अब उसे किस तरह की फिल्में बनानी होंगी. इस के परिणामस्वरूप फिल्म व टीवी सीरियल की लागत कोरोना के बाद बढ़ी है, तो वहीं कोरोना की नई लहर के चलते ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि यह लागत कैसे वापस मिलेगी कोई नहीं जानता.