एक तरफ प्रकृति हमें ऐसे माहौल में ही जीने को विवश कर रही है, वहीं दूसरी ओर चक्रवाती तूफान आने से तबाही का मंजर रूह कंपा देने वाला है.
प्रकृति क्या कहना चाह रही है, सुनने का प्रयास करना होगा. प्रकृति भी अपने रौद्र रूप में अब आ गई है. धरती हिल रही है, तूफान आ रहे हैं, पेड़पौधे तहसनहस हो रहे हैं, छतें हवा में झूल रही हैं, आदमी बेमौत मारे जा रहे हैं चाहे कोरोना के चलते या प्राकृतिक बीमारी की वजह से यानी प्रकृति कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. प्रकृति की छेड़छाड़ अब लोगों की समझ से परे की बात हो गई है.
पूरी दुनिया को मुट्ठी में भींच लेने वाला आदमी भी अब प्रकृति के सामने बेबस है. सारी टैक्नोलौजी धरी की धरी रह गई है, सारे विकास ठप हो गए, सारी योजनाएं एक सैकंड में धराशायी हो गई.
ऐसा सोचने का किसी के पास समय नहीं था, पर प्रकृति ने सिद्ध किया है कि हम सब उस के हाथों की कठपुतली हैं. पूजापाठ भी किए जा रहे हैं, यज्ञहवन भी हो रहे हैं, पर किसी भी काम के नहीं, जब अनहोनी को कोई टाल ही नहीं पा रहा.
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अंफान तूफान की दस्तक ने पश्चिम बंगाल में ऐसा कहर बरपाया कि वहां सबकुछ तहसनहस हो गया. तेज हवाएं, भारी बारिश, आसमानी बिजली गिरी, पलभर के लिए लगा कि सबकुछ खत्म सा हो गया.
बाहर का मंजर ऐसा कि कदम रुक गए. घर भी तहसनहस हो गए. ऐसा लगा, रहने को घर नहीं, खाने को रोटी नहीं, सड़क भी उन की नहीं, चारों ओर पानी ही पानी... लोगों के दिलोदिमाग में अंफान तूफान के निशान पूरी तरह मिट भी नहीं पाए थे कि वहीं महाराष्ट्र व गुजरात में निसर्ग तूफान ने भी अपने पैर पसार लिए. यह तूफान भी चक्रवाती है.
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