घर में बच्चे के जन्म लेते ही मातापिता उसे बुरी नजर से बचाने के लिए तरहतरह के पूजापाठ व टोनेटोटके करवाते हैं. बच्चा डरे नहीं इसलिए उस के तकिए के नीचे लोहे की कोई चीज चाकू वगैरा रखते हैं, उस के गले में बाबाओं द्वारा सिद्ध किए ताबीज व धागे बांधने से भी गुरेज नहीं करते.
बालपन में तो बच्चे को इन की समझ नहीं होती, लेकिन जैसेजैसे वह बड़ा होता है उस के दिमाग में इन चीजों को बैठाने की कोशिश की जाती है और उस पर इतना अधिक दबाव डाला जाता है कि उसे लगने लगता है कि अगर मैं मेहनत नहीं भी करूंगा तब भी पास हो जाऊंगा, लेकिन अगर मैं ने मूर्ति के आगे हाथ नहीं जोड़े या मां के बताए टोटके नहीं किए तो अवश्य फेल हो जाऊंगा और वह कर्म से ज्यादा ढकोसलों में विश्वास करने लगता है जो उस का कैरियर टौनिक नहीं बल्कि उसे दिग्भ्रमित कर देते हैं.
यदि आप के पेरैंट्स भी आप को जबरदस्ती धार्मिक ढकोसलों में फंसाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बताएं कि कर्म करने से फल मिलता है न कि घंटों धार्मिक पाखंडों में उलझ कर अपना समय बरबाद करने से.
जब रखें बर्थडे पर जागरण का प्रस्ताव
यदि पेरैंट्स कहें कि हम ने मन्नत मांग रखी थी कि जब तुम 15 साल के हो जाओगे तो तुम्हारे बर्थडे पर जागरण करवाएंगे इसलिए इस बार नो पार्टी विद फ्रैंड्स ओनली जागरण, तो आप उन्हें समझाएं कि मन्नतवन्नत कुछ नहीं होती, ये सब मन का वहम है. जागरण पार्टी वाले भी सिर्फ संगीत की धुन पर इमोशनली ब्लैकमेल करते हैं. वे खुद भी बजाय भगवान के, पैसे को अहमियत देते हैं, बातबात पर पैसा चढ़ाने को कहते हैं, इस से तो दोस्तों के साथ ऐंजौय करना ज्यादा अच्छा है. अत: इस बार मैं बर्थडे पर धमाल वाली पार्टी करूंगा.
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