वायरसी महामारी से दुनिया में तबाही मचाने वाले नोवल कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर रिसर्च की जा रही है, बहसें हो रही हैं, आरोपप्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. वहीं, इस के पीछे की साइंस का पता लगाने के लिए साइंटिस्ट्स जुटे पड़े हैं.
राजनेताओं या देशों की बात नहीं, कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस मानव निर्मित नहीं है जबकि कुछ वैज्ञानिकों का यह मत है कि वायरोलोजी साइंटिस्ट्स ने इसे बनाया है. अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीन के विशेषज्ञों में इसे क्रिएट किया है जबकि चीन इसे नकारता रहा है. वहीँ, कुछ देशों के वैज्ञानिकों ने इसे अमेरिका के एक वैज्ञानिक संस्थान में चीनी मूल के साइंटिस्ट द्वारा क्रिएट किए जाने की बात कही है. बहरहाल, इस वायरस पर तरहतरह के शोध हो रहे हैं और शोधों की रिपोर्टें रोजबरोज जारी की जाती है. वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी एक ताज़ा रिपोर्ट भी जारी की गई है.
...और क्रिएट हो गया वायरस :
रिसर्च में जुटे 2 सीनियर साइंटिस्ट्स को पता चला है कि नोवल कोरोना वायरस पहले से ही मानव शरीर से परिचित था और इस वायरस की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो प्रकृति में कभी रही ही नहीं हैं.
रूसी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने नौर्वे की एनआरके न्यूज़ के हवाले से लिखा है कि कोविड-19 बीमारी पर शोध से पता चलता है कि यह नोवल कोरोना वायरस बनाया हुआ है और इसे चीन व अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है.
नौर्वे के वैज्ञानिक ब्रिक सोरेन्सन और ब्रिटेन के वैज्ञानिक प्रोफेसर डगलस के अनुसार, नोवल कोरोना वायरस पर शोध से पता चलता है कि यह अपनेआप नहीं बना यानी प्राकृतिक नहीं है. इसलिए आशंका यह है कि इस वायरस को चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है. सोरेन्सन और ब्रिटेन के प्रोफेसर डगलस का मानना है कि कोरोना वायरस का जो मुकुट है उस में कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिन के अध्ययन से पता चलता है कि वे उस में कुदरती तौर पर नहीं थे बल्कि बाकायदा वहां रखे गए हैं.
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