Nuclear Family : आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं जो संयुक्त परिवार जिस में 1 या 2 युवा जोड़े और उन के मांबाप एक छत के नीचे एक किचन को शेयर करते हुए रहते हैं, की तारीफ करते हैं. सभी संयुक्त परिवार कभी न कभी टूटते ही हैं पर केवल परंपरा के नाम पर उन्हें ढोना गलत है. युवाओं को जिस आजादी और कैरियर बढ़ाने के लिए माहौल चाहिए वह आमतौर पर ज्यादा भरे घर में नहीं मिलता.

वर्तमान दौर में लड़कालड़की को बचपन से ही एकसमान परवरिश मिल रही है. समय के साथसाथ सोच बदलती गई और आज लड़कियां पढ़लिख कर ऊंचाई के उस मुकाम पर पहुंच गईं जहां उन्होंने अपनी काबिलीयत से अपनी अलग पहचान तो बना ही ली, साथ ही वे आत्मनिर्भर भी बन गई हैं. अपनी उच्च शिक्षा को या अपने टेलैंट को 4 दीवारों के भीतर रख कर दायित्वों के बोझ तले दबाना उन्हें आज की पीढ़ी को कतई मंजूर नहीं.

संयुक्त परिवार में अकसर युवतियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर आसानी से प्राप्त नहीं होते, बहुत प्रयासों के बाद अगर वे कुछ करती भी हैं तो उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. न्यूक्लियर फैमिली में सपनों को पंख लग सकते हैं, अपने ही हौसले से बस उड़ान भरने की देर है. संयुक्त परिवार से अलग हो कर रहने का अर्थ यह कदापि नहीं कि परिवार से नाता टूट गया बल्कि दोनों परिवार आपस में जुड़े भी रहते हैं और अपने हिसाब से जीवनयापन करने के लिए स्वतंत्र भी रहते हैं. एकदूसरे के कार्यप्रणाली में जब कोई हस्तक्षेप नहीं करता तो रिश्तों की मधुरता बरकरार रहती है.

टैंशन से मुक्ति

जब मातापिता बच्चों को पूर्णरूप से स्वतंत्रता देते हैं तो उन के बहूबेटे भी न्यूक्लियर फैमिली में रहते हुए भी अपने दायित्व को बखूबी समझते हैं. समयसमय पर अपने मातापिता का चैकअप, उन की हर आवश्यकता को पूरा करना, दोनों परिवारों को लगने वाला सामान एकसाथ लाना यह सब वे स्वयं ही बिना कहे करना जानते हैं. त्योहारों पर पूरा परिवार एकत्रित होता है. जब थोड़ा समय ही साथ रहने का मौके आता है तो वह समय हंसीखुशी साथ बिताया जाता है, किसी तरह के तनाव की गुंजाइश नहीं रहती.

बेटेबहू समयसमय पर आर्थिक सहयोग करते रहते हैं. रिश्तेदारी में कुछ मांगलिक प्रसंग आते हैं तो वे मातापिता की आवश्यकताओं की पूरी व्यवस्था करना जानते हैं. बचपन की परवरिश के चलते आपसी प्रेम तो रहता ही है रिश्तेदारों और समाज में अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए भी वे मातापिता का घर सभी सुविधाओं से परिपूर्ण रखते हैं. समयसमय पर उस घर की भी वे मरम्मत करवाते रहते हैं.

आपसी मनमुटाव के चलते जबरन संयुक्त परिवार की गाड़ी को खींच कर चलने से कब कौन सा पहिया निकल कर गिर जाए कहा नहीं जा सकता इसलिए स्थितियां बेकाबू हों उस से पहले बेहतर होगा खुशीखुशी न्यूक्लियर फैमिली की ओर अपने कदम बढ़ाए. इस से रिश्ते मजबूत होंगे. हाथों की उंगलियों की तरह स्वतंत्र भी रहेंगे और समय पड़ने पर बंद मुट्ठी की तरह ताकतवर भी. अपने हिसाब से न्यूक्लियर फैमिली में अरमानों के आशियाने को संवरते और मुसकराते हुए देखा है.

स्वयं को निखारने के मिलते अवसर

न्यूक्लियर फैमिली में यंग वाइफ्स को अपने भीतर छिपी कला को उजागर करने के स्वच्छंद जीवनयापन करने के अवसर आसानी से मिल जाते हैं. घरेलू कामकाज में अपना कीमती समय गंवाने से बेहतर वे आय के नएनए स्रोत खोजती हैं और उन्हें अंजाम भी देती हैं. घरेलू कामकाज हैल्पर की सहायता से आसानी से हो ही जाते हैं. परिवार में 2-3 सदस्य रहते हैं.

सभी एकदूसरे की व्यस्तता और रुचि को समझते हैं, अनावश्यक रूप से कोई भी किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता. कला के अनेक पर्याय हैं, न्यूक्लियर फैमिली में सीमित कामकाज रहने से महिलाओं को अपनी रुचि को विकसित करने का पर्याप्त समय और सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं और जब हम अपनी रुचि को अंजाम देते हुए आगे बढ़ते हैं तो आत्मसंतुष्टि के साथ ही अपनी अलग पहचान भी बनती है जिस से असीमित खुशी मिलती है.

मानसिक संतुष्टि

आज की उच्च शिक्षित लड़कियां अच्छे पैकेज के साथ जौब कर रही हैं, औफिस में उन्हें काफी जिम्मेदारी से अपने कार्यों को अंजाम देना पड़ता है, किंतु बदले में लाखों रुपए मिलने से उन्हें उन कार्यों को करने में अधिक थकान महसूस नहीं होती. मेहनत और जोश से आगे बढ़ते हुए उन की पदोन्नति भी होती रहती है, जिस से उन्हें अपने सफल होने का एहसास बना रहता है, साथ ही उन की शिक्षा भी सार्थक होती है, जिस की उन्हें संतुष्टि रहती है.

अपने हक का पैसा अपने पास रहने से उन्हें अपनी इच्छाओं को पूरा करने की भी आजादी रहती है. अधिकांश खुशियों का पूरा होना रुपयों पर भी निर्भर करता है. जो महिलाएं आत्मनिर्भर हैं वे अपने भविष्य की योजनाओं के प्रति भी सजग रहती हैं, उन्हें किसी तरह की चिंता नहीं रहती जिस के चलते वे मानसिक रूप से स्वस्थ व खुश दिखाई देती हैं.

मन को लुभाती आजादी

आज के युग में छोटेछोटे बच्चों को भी रोकटोक पसंद नहीं, हरकोई अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से अपने अरमानों को पूरा करते हुए बिताना चाहता है. संयुक्त परिवार में पारिवारिक सदस्यों द्वारा अलगअलग तरीके से दबाव बना रहता है, साथ ही मेहमानों की आवाजाही लगी रहती है, जिस के कारण खुल कर जीने के मार्ग नहीं मिलते. मन की कुंठा अनेक बीमारियों को न्योता देती है.

कार्यभार चाहे जितना भी रहे किंतु उसे अपने हिसाब से अंजाम देने से सुकून मिलता है और हम जितना सोचते हैं उस से अधिक और बेहतर करने का प्रयास करते हैं. इस के विपरीत किसी के दबाव में आ कर काम करते समय तनाव तो महसूस होता ही है, जो कार्य करते हैं उस में भी रुचि नहीं रहती तो अतिरिक्त कुछ करने का प्रश्न ही नहीं उठता. आजादी विकास की अनेक राहों को प्रशस्त करती है.

खुशी के अनेक पर्याय उपलब्ध

रोजमर्रा की दिनचर्या से कई बार बोरियत महसूस होने लगती है. हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नयापन लाना चाहता है. समयसमय पर कुछ बदलाव से तनमन के भीतर ऊर्जा भर जाती है जिस से हम तरोताजा महसूस करते हैं. न्यूक्लियर फैमिली में छूट्टी मिलते ही बड़ी आसानी से घूमनेफिरने के प्रोग्राम बना लिए जाते हैं, प्रकृति के सान्निध्य में बिताएं खूबसूरत लमहें मनमस्तिष्क को तो प्रसन्न करते ही हैं, साथ ही हम नए उत्साह से काम करने के लिए भी तैयार हो जाते है. हमउम्र साथियों के साथ मेलजोल होता रहता है. हम जब चाहें जैसा चाहें घर में अपने परिजनों या साथियों को बुला कर पार्टी का लुत्फ उठा सकते हैं, जिस में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती न ही किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता रहती है. खुशियों के अनेक द्वार यहां खुले रहते हैं.

परस्पर संबंधों में मजबूती

कई बार अन्य पारिवारिक सदस्यों के कारण मैरिड लाइफ प्रभावित होती है. न्यूक्लियर फैमिली में पतिपत्नी दोनों ही रहने से एकदूसरे को भरपूर समय दे सकते हैं, आपसी भावनाओं को तवज्जो दी जाती है, साथ ही अंतरंग संबंध सुदृढ़ रहते हैं. बच्चों को भी स्वावलंबी बनाने में आसानी होती. वे अनुशासन में रहना सीखते हैं. मातापिता बच्चे को पर्याप्त समय दे सकते हैं, उस की पढ़ाईलिखाई पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, अन्य गतिविधियों में भी ऐसे बच्चे आगे रहते हैं क्योंकि अभिभावकों का पूरा ध्यान उन पर रहता है.

घरेलू कामकाज में समस्या

संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों की किचन एक होती है जिस से अनेक कठिनाइयों का सामना परिवार के हर मैरिड यंग को करना पड़ता है. खानपान से संबंधित सब की पसंद अलगअलग होती है. सभी की पसंद का बनाए, यह संभव नहीं होता इसलिए कई बार मन मसोस कर रहना पड़ता है.

कोई चाह कर भी अपने बच्चों को उन की पसंद की डिश बना कर नहीं खिला पाते क्योंकि कुछ भी बनाना हो तो सब के लिए बनाना जरूरी हो जाता है. ऐसे में महिलाएं इतना समय किचन में गंवाना पसंद नहीं करतीं और बच्चों को बाहर की चीजें खिला देती हैं जिस से उन का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

कई बार किसी एक पर कार्य का बोझ अधिक आ जाता है तो कोई सदस्या बिलकुल ही लापरवाही बरतता है और किसी भी काम में सहयोग करना जरूरी नहीं सम?ाता. इस से रिश्तों में दरार आ जाती है. किचन में एकसाथ काम करते हुए अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

आर्थिक रूप से कठिनाइयां

न्यूक्लियर फैमिली में अनावश्यक रूप से होने वाले खर्च पर नियंत्रण रहता है. संयुक्त परिवार में किसी के ऊपर आर्थिक व्यय का बोझ अधिक आता है. संकोचवश स्पष्ट रूप से कोई कुछ बोल नहीं पाता पर ऐसी स्थिति के चलते मन ही मन घुटन होती रहती है.

वहीं दूसरी ओर कोई सदस्य अपनी व्यक्ति गत तिजोरी भारीभरकम करने में लगा रहता है. घरेलू वातावरण में अदृश्य रूप से अशांति बनी रहती है जो मानसिक रूप से अस्वस्थ करती है. न्यूक्लियर फैमिली में इन सब बातों की समस्या नहीं आती.

अनावश्यक व्यय से बचाव न्यूक्लियर फैमिली में एक यंग वाइफ के हाथों घर की बागडोर रहती है जिस से उसे खानपान से ले कर हर आवश्यक वस्तु कितनी लगने वाली है इस का अनुमान रहता है जिस कारण अनावश्यक रूप से व्यय की संभावना नहीं रहती, साथ ही महिलाओं में यह आदत होती कि वे अपनी व्यक्तिगत पूंजी या अन्य वस्तुओं को बहुत संभाल कर रखती हैं.

संयुक्त परिवारों में वस्तु घर में सभी

सदस्यों की होती है इसलिए उसे हिफाजत से रखने का दायित्व किसी एक का नहीं होता तो लापरवाही बरती जाती है. किचन में खाद्यसामग्री का अनुमान लगाना मुश्किल रहता है. ऐसे में अन्न की बरबादी भी बहुत होती है और अनावश्यक व्यय भी बढ़ता है.

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