औरतों के लिए तरहतरह के कपडों तक के नियम धर्म ने तय कर रखे हैं. लगभग हर धर्म औरतों के लिए तय करता है कि कब क्या करना है क्या नहीं. उत्तर भारतीय वधूओं के लिए घूंघट आज भी जरूरी है. गनीमत है कि अब दिन भर सिर पर पल्लू या घर में जेठ या ससुर के सामने पूरा घूंघट सिर्फ गांवों तक रह गया है. मुसलमानों में हिजाब एक विवाद बन गया है.
हिजाब ड्रैस का कोई दिखावटी हिस्सा नहीं है और यह कहना कि औरतें अपनी मर्जी से उसे पहन रही हैं. धर्म के कहने पर अपने को धोखा देना है. हिजाब कोरा धार्मिक है वर्ना इसे घर में भी पहना जाता. जो मुसलिम औरतें कह रही हैं कि हिजाब उन की आईडैंटिटी की निशानी है, वे केवल धर्म गुरूओं के आदेशों पर कर रही हैं. ईरान की औरतों ने यह साबित कर दिया है.
ईरान में 22 साल एक औरत को पब्लिक में हिजाब जलाने पर मोरल पुलिस, यानी धाॢमक पुलिस ने पकड़ लिया और अगले दिन उस की लाश मिली जैसा हमारे यहां होता है. कस्टोडियल डैं्रस ईरान, भारत जैसे देशों में आम है.
पर जो बात ईरानी धार्मिक मुल्लाओं ने सोची नहीं थी, वह हुई. इस मौत पर हंगामा हुआ. पूरा देश हिजाब की जबरदस्ती पर खड़ा हो गया है. जगहजगह उपद्रव हो रहे हैं. आगजनी हो रही है. ईरान सरकार जो मुल्लाओं के हिसाब से चलती हुआ नहीं कर रही कि इन लोगों को दबाने के लिए काफिरों की बनाई गई बंदूकों से आम जनता को डरा कर घरों या जेलों में बंद कर रही है.
म्हासा अमीनी की पुलिस के हाथों मौत हुई. अब ईरानी पुलिस, भारतीय पुलिस की तर्ज पर, कह रही है कि मौत तो हार्ट फेल होने से हुई थी. जिस औरत ने पब्लिक में विरोध किया हो, उस का दिल इतना कमजोर नहीं होता कि पुलिस के हाथों में जाते ही टूट जाए. ईरान के 10-12 शहरों में मोरल पुलिस की मनमानी के खिलाफ दंगे होने लगे हैं.
यह हाल बिलकुल भारत जैसा है. ईरान में भी भारत जैसी धर्म की देन सरकार है जो धर्म को पहला फर्ज मानती है, गुड गवनैंस को नहीं. भारत में भी सरकार का कर्म धर्म के हिसाब से हो रहा है. मंदिरों और तीर्थों के लिए सडक़ें बन रही है और उन्हें विकास कहा जा रहा है. मुसलमानों के मकान तोड़े जा रहे है और उसे एनक्रोसमैंट के रोकने का एक्शन कहा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट को समय हिजाब और ज्ञानवापी मसजिद की गुत्थी सुलझाने में लगाया जा रहा है और इसे न्याय करना सिखाया कहा जा रहा है. जबकि संपत्ति, अपराधों, तलाक, जेलों में बंद निर्दोषों के मामले 10-10 साल से लटक रहे हैं. ईरान और भारत में बहुत सी बातें एक सी हैं.
हमारे यहां मुसलिम औरतों के हिजाब पर आपत्ति है पर किसी हिंदू औरत तो किसी मंदिर में बिना सिर ढके जाने पर भी रोक है. हिंदू औरतें अगर देवीदेवता के सामने बिना सिर ढके चली जाएं तो उन्हें मारापीटा तो नहीं पर टोका जरूर जाता है. भारत सरकार और ईरान सरकार दोनों औरतों को धर्म की गुलाम मानती हैं और ऐसी औरतों की भी कमी नहीं जो अपनी आजादी को धर्म के नाम पर कुर्बान करने में आसानी से तैयार हो जाती हैं. म्हासा अमीनी की मौत ने अंधविश्वास के सड़े भूसे में एक चिंगारी फेंकी है. यह आग कितनी फैलती है देखना बाकी है.