विकसित देशों के मुकाबले भारत तरक्की के मामले में भले ही पिछड़ रहा हो, मगर पंडेपुजारियों ने धर्म के सहारे कर्मकांडों, पूजापाठ आदि को बुलंदी पर पहुंचा दिया है. पूजापाठ और कर्मकांडों की जैसेजैसे तरक्की होती रही, पुजारी वर्ग भी उसी तरह खूब फलताफूलता रहा.

साल 1991 से देश में उदारीकरण और निजीकरण का दौर शुरू हुआ. इस से लोगों का पलायन के साथ रोजगार बढ़ा. ऐसे में जड़ से जुड़े लोगों का पूजापाठ और कर्मकांडों से मोहभंग होने लगा. बिना परिश्रम के मुफ्त में खाने के आदी पंडेपुजारियों का धंधा जब मंदा होने लगा तो उन्होंने ठगने के लिए नया पैंतरा अपनाया है, जो औनलाइन दर्शन, आरती, पूजापाठ और पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध जैसे कर्मकांडों के रूप में दिख रहा है. स्काइप, गूगल, फेसबुक चैट जैसे ऐप्लीकेशन से कनैक्टेड ये औनलाइन पंडे औनलाइन जेब काटने में माहिर हैं.

मतलब साफ है कि पुजारीवर्ग हर स्तर से पूजापाठ को कायम रख कर लोगों को ठगना चाह रहा है. हद की बात तो यह है कि सरकारें भी इस काम में दिल खोल कर सहायता कर रही हैं, मृत्यु के बाद जब मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है, तब भी औनलाइन पूजापाठ पैकेज के सहारे लाइव पिंडदान से मोक्ष दिलाने का धंधा जोरों पर है. प्रसिद्ध मंदिरों की आरती एवं दर्शन को औनलाइन दिखा कर आधुनिक पंडे अपनी जेब भरने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में औनलाइन पूजापाठ का औफर देने वाले पुजारियों से सावधान रहना ही बेहतर है.

लाइव पिंडदान

पिछले दिनों इलाहाबाद अब प्रयागराज में कुछ पुरोहितों ने लाइव पिंडदान का औफर शुरू किया. यहां के पुरोहित ने बताया, ‘वीडियोकौलिंग से लाइव पिंडदान किया जा रहा है. अनुष्ठान के समय एक व्यक्ति मोबाइल ले कर खड़ा रहेगा, सब कुछ उस में दिखाएगा, जिसे दूरदराज बैठे हमारे यजमान उसे आसानी से देख सकेंगे. बदले में हम यजमानों से मोटी रकम वसूलते हैं.’’

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