गजल अलघ एक ऐसा नाम है जिस ने अपने बच्चे की परवरिश के दौरान महसूस की गई प्रौब्लम्स का न सिर्फ खुद के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी समाधान कुछ ऐसे निकाला कि एक बड़ा बिजनैस खड़ा कर दिया. उन्होंने नैचुरल बेबी और ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी मामाअर्थ की शुरुआत की. मामाअर्थ मां और गर्भवती मां के जीवन को बेहतर बनाने के साथसाथ बच्चों का स्वस्थ और सुरक्षित दुनिया में स्वागत करता है.

एक कौरपोरेट ट्रेनर, एक कलाकार और एक मां होने के साथसाथ गजल आज एक नामचीन बिजनैस वूमन हैं. गजल सोनी चैनल पर आने वाले शो ‘शार्क टैंक सीजन 1’ के जजों में से एक थीं. गजल फिक्की (एफआईसीसीआई) स्टार्ट अप कमेटी 2024 की सहअध्यक्ष भी हैं.

गजल अलघ चंडीगढ़ की एक जौइंट फैमिली से हैं. उन के पिता बिजनैसमैन थे. गजल बताती हैं कि उन के पापा हमेशा कहते थे कि जब बिजनैस प्रौफिट कमाता है सिर्फ तभी पैसे घर आते हैं. यही बात सुनते वे बड़ी हुईं.

मोस्ट पावरफुल वूमन

गजल को बिजनैस टुडे और फौच्र्यून इंडिया मोस्ट पावरफुल वूमन 2023, ईटी 40 अंडर 40, सीएनबीसी वूमन फास्ट फौरवर्ड वूमन अचीवर अवौर्ड, बिजनैस टुडे मोस्ट पावरफुल वूमन 2024, बिजनैस वल्र्ड 40 अंडर 40 अवार्ड से सम्मानित किया गया है. कला में रुचि रखने वाली गजल अलघ की रचनाओं का प्रदर्शन राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ और वे देश की शीर्ष 10 महिला कलाकारों की सूची में शामिल हैं.

शादी के बाद आप की ङ्क्षजदगी कैसे बदली और मामाअर्थ की शुरुआत कैसे हुई इस बारे में उन्होंने बताया कि वरुण से मेरी मुलाकात हुई और जल्द ही शादी हो गई. शादी के बाद उन्हें जौब के सिलसिले में फिलीपींस जाना था. हमारी नईनई शादी हुई थी इसलिए मैं ने साथ जाने का फैसला लिया. वहां मेरे पास समय था. सो पेंङ्क्षटग का शौक फिर से उभर आया. घर पर ही पेंङ्क्षटग्स बनानी शुरू कीं. वरुण को मेरी पेंङ्क्षटग्स बहुत अच्छी लगीं. उन्होंने मेरी कई पेंङ्क्षटग्स ले कर कुछ आर्ट अकादमी में भेजीं.

‘न्यूयौर्क आर्ट अकादमी’ से मु?ो कौल आ गया कि मैं वहां आ कर प्रोफैशनली पढ़ सकती हूं. यहां से प्रोफैशनल आर्ट ऐजुकेशन की जर्नी शुरू हुई. सीख कर वापस आई तो आर्ट ऐक्सिबिशन लगाईं. बहुत अच्छा रिस्पौंस मिला. यह वही काम था जिसे मैं ङ्क्षजदगी में करना चाहती थी. पैसा भी अच्छा था और संतुष्टि भी थी.

उन्होंने बताया, ‘‘फिर इस बीच मैं प्रैगनैंट हो गई. बड़ा बेटा पैदा हुआ तब चीजें थोड़ी बदलीं. बेटे के लिए मैं नैचुरल और टौक्सिन फ्री प्रोडक्ट्स ढूंढ़ रही थी.

‘‘मु?ो इस की जानकारी थी क्योंकि मैं यूएस रह कर आई थी. उस दौरान वहां दुकानों की सैल्फ से एक खास ब्रैंड के प्रोडक्ट्स हटाए जा रहे थे क्योंकि माना जा रहा था कि उन में काॢसनोजेंस इन्ग्रीडिएंट्स होते हैं. मेरे बेटे अगस्त्य के लिए जो गिफ्ट्स आए थे उन में उस ब्रैंड के प्रोडक्ट्स भी थे. मैं ने उन का उपयोग करना रोका.

‘‘इधर अगस्त्य को स्किन इशू था. उस की स्किन काफी सैंसिटिव थी. उस समय मैं ने रियलाइज किया कि भारत के ज्यादातर प्रोडक्ट्स उसे सूट नहीं कर रहे. फिर काफी समय तक फ्रैंड्स या फैमिली मैंबर्स जो विदेश आते या जाते उन से रिक्वैस्ट कर प्रोडक्ट्स मंगवाती और स्टोर कर के रखती. मगर यह सब आसान नहीं था. एक तो प्रोडक्ट्स महंगे बहुत थे और दूसरा दूसरों को परेशान करना भी सही नहीं लगता था.’’

कंज्यूमर्स का विश्वास

आप ने कंज्यूमर्स का विश्वास कैसे जीता, इस सवाल पर वे कहती हैं, ‘‘दरअसल, हम ने सोच लिया कि हम बेबी प्रोडक्ट्स बनाएंगे जो सेफ, टौक्सिन फ्री और नैचुरल इन्ग्रीडिएंट्स से तैयार होंगे. उस समय इंडियन पेरैंट्स को इस के बारे में कङ्क्षवस करना आसान नहीं था. इस के लिए हम ने मेड सेफ और्गेनाइजेशन से अपने प्रोडक्ट्स सॢटफाइड कराए. मेड सेफ नौन प्रौफिट और्गेनाइजेशन है जो किसी भी प्रोडक्ट के हर इन्ग्रीडिएंट्स को चेक करता है और यह देखता है कि प्रोडक्ट कैसे बन रहा है, कौन से इन्ग्रीडिएंट्स यूज किए गए हैं.

‘‘उस के बाद ही यह सेफ्टी सील देता है. इस के सेफ्टी स्टैंडर्ड न केवल इंसानों के लिए बल्कि ऐन्वायरन्मैंट मरीन लाइफ के लिए भी होता है. हम एशिया के पहले ब्रैंड थे जो मेड सेफ सॢटफाइड थे. इस से पहले किसी और ब्रैंड ने ब्यूटी की फील्ड में सेफ्टी की बात नहीं की थी. इसलिए कंज्यूमर्स का ट्रस्ट हमें मिला.

‘‘इस के अलावा हमारा ब्रैंड सैटअप ऐसा था जो खुद पेरैंट्स द्वारा तैयार किया गया था. हम खुद पेरैंट्स थे इसलिए दूसरे पेरैंट्स की प्रौब्लम सम?ाते थे. यह भी एक वजह थी कि कंज्यूमर्स ने हमारी बात सुनी. यही नहीं हम ने बहुत से कंज्यूमर से डाइरैक्टली बात की.’’

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