16 अक्तूबर, 2014... गुवाहाटी से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव कारबी एंगलौंग, जहां पिछले कुछ महीनों से हो रही आकस्मिक मौतों की वजह ढूंढ़ने का प्रयास जारी था. गांव के बुजुर्गों ने इस के पीछे किसी डायन का हाथ होने की संभावना व्यक्त की और फिर संभावित डायन का पता लगाने के लिए लोगों की सभा बुलाई गई.
मंत्रोच्चारण के दौरान भीड़ में से किसी बुजुर्ग महिला ने देबोजानी बोरा की तरफ इशारा करते हुए चिल्ला कर कहा, ‘‘यही डायन है. इसे सजा दो.’’
उस महिला के यह कहने भर की देर थी कि पूरी भीड़ उस पर टूट पड़ी. मछली पकड़ने वाले जाल में बांध कर उसे इतना पीटा गया कि वह बुरी तरह घायल हो गई और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा.
आप को जान कर आश्चर्य होगा कि जिस देबोजानी बोरा को डायन घोषित किया गया वह गोल्ड मैडलिस्ट थी. जन्म से इसी गांव में रहती आई थी. 3 बच्चों की मां 51 वर्षीय देबोजानी खेतों में काम करने के साथसाथ ऐथलैटिक्स की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती रही थीं. उन्होंने बहुत से नैशनल मीट्स में असम का प्रतिनिधित्व किया था. भारत के लिए 2011 में जैवलीन थ्रो में गोल्ड मैडल भी जीता था.
अफसोस की बात है कि भले ही हम आज 21वीं सदी की दहलीज पर खड़े हैं, विकास के नएनए मानदंड तय कर रहे हैं, मगर अभी भी हमारे समाज में कई ऐसी प्रथाएं व परंपराएं हैं, जो पिछड़ी मानसिकता एवं भेदभावपूर्ण रवैए की द्योतक हैं. उदाहरण के लिए डायन प्र्रथा को ही लें, जिस ने कितनी ही निर्दोष महिलाओं की जिंदगी तबाह की है.