ऐक्सीलैंस इन स्टेम
Dr Bushra Ateeq : डा. बुशरा अतीक प्रमुख कैंसर जीवविज्ञानी और आणविक औंकोलौजिस्ट हैं. वर्तमान में वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में जैविक विज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग में बतौर प्रोफैसर कार्यरत हैं.
डा. अतीक का जीव विज्ञान के प्रति जनून उन के हाईस्कूल के वर्षों से ही स्पष्ट था, जिस के कारण उन्होंने आनुवंशिकी में उच्च शिक्षा प्राप्त की. इस क्षेत्र में पीएचडी करने के बाद वे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में पोस्ट डाक्टरल शोध में शामिल हुईं. उन्होंने कनाडा के मौंट्रियल में मैकगिल विश्वविद्यालय और बाद में मिशिगन विश्वविद्यालय के मिशिगन सैंटर फौर ट्रांसलेशनल पैथोलौजी में अपना शोध आगे बढ़ाया, जहां उन्होंने एक शोध अन्वेषक (जूनियर फैकल्टी) के रूप में भी काम किया. फरवरी, 2013 में उन्होंने आईआईटी कानपुर जौइन किया, जहां उन्होंने कैंसर अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

लेखन पर कई पुरस्कार
डा. अतीक का शोध आनुवंशिक और एपीजेनेटिक परिवर्तनों को सम झने पर केंद्रित है. उन के काम ने आणविक लक्षण वर्णन और संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों में महत्त्वपूर्ण खोजों को जन्म दिया है. उन के शोध विभिन्न मैडिकल जर्नल्स में प्रकाशित होते रहे और अभी भी लगातार हो रहे हैं.
डा. अतीक का काम प्रौस्टेट कैंसर के लिए बायोमार्कर की पहचान करने में महत्त्वपूर्ण रहा है, जिस से निदान और उपचारात्मक रणनीतियों में सुधार हुआ है. देश में 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में प्रौस्टेट कैंसर की समस्या बढ़ती ही जा रही है. इस का पता अधिकतर तब लगता है जब परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है. अब इस समस्या की चपेट में 30 वर्ष तक के युवा भी आने लगे हैं, जिस के पीछे लाइफ स्टाइल डिसऔर्डर (जीवनशैली विकार) बड़ी वजह है. महज 2-3 फीसदी मामलों में जेनेटिक कारण हैं.
डा. अतीक कहती हैं कि यदि समय पर इस का पता चल जाए तो संतुलित खानपान, व्यायाम और लक्षणों के आधार पर समस्या पर काबू पाया जा सकता है.
अनुवाद संबंधी शोध के प्रति डा. अतीक का समर्पण प्रयोगशाला खोजों और नैदानिक अनुप्रयोगों के बीच की खाई को पाटता है, जिस से कैंसर रोगियों के बेहतर प्रबंधन और उपचार की उम्मीद जगी है. डा. अतीक को अपने शोध और लेखन पर कई पुरस्कार मिले हैं.
कई मानों में प्रेरणास्रोत
चिकित्सा विज्ञान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, एस. रामचंद्रन राष्ट्रीय जैव विज्ञान पुरस्कार, जैव प्रौद्योगिकी बसंती देवी अमीर चंद पुरस्कार, सीएनआर राव संकाय पुरस्कार, सईदा बेगम महिला वैज्ञानिक पुरस्कार, पीके केलकर अनुसंधान पुरस्कार प्रदान किया गया.
डा. बुशरा अतीक कई मानों में प्रेरणास्रोत हैं. उन के शोध में कैंसर बायोमार्कर्स, कैंसर जीनोमिक्स, नौनकोडिंग आरएनए, ड्रग टारगेट और प्रौस्टेट कैंसर जैसे विषय शामिल हैं. उन का काम प्रौस्टेट, स्तन और बड़ी आंत के कैंसर पर केंद्रित है. उन का शोध कैंसर बायोमार्कर और मौलेक्यूलर बदलावों पर आधारित है जिस से प्रौस्टेट और स्तन कैंसर में बढ़ोतरी होती है.
डा. बुशरा कहती हैं, ‘‘हमारी प्रयोगशाला कैंसररोधी उपचार के टारगेट्स की खोज करना चाहती है. इन टारगेट्स की पहचान से कैंसर का जल्द ही पता लगाया जा सकेगा और यह बेहद महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जल्दी पता लगने से कामयाबी के साथ उपचार होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.’’