LGBTQ : एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए बराबरी के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली वकील मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने सोसाइटी में एक ऐसा वातावरण बनाया जो वाकई काबिलेतारीफ है. इवेंट के दौरान दोनों ही वकील लाइमलाइट में रहीं और लोगों की तारीफें बटोरीं. मेनका और अरुंधति को सोशल चेंजमेकर कैटेगरी के लिए गृहशोभा इंस्पायर अवार्ड से नवाजा गया.
मेनका और अरुंधति दोनों ही सफल वकील हैं. मेनका ने हार्वर्ड स्कूल से एलएलएम और औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल किया है. वे बर्लिन के इंस्टिट्यूट औफ एडवांस्ड स्टडीज की फैलो रह चुकी हैं. यही नहीं वे कोलंबिया ला स्कूल, येल ला स्कूल, न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी औफ लौ जैसे विश्वप्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों की विजिटिंग फैकल्टी भी हैं. वहीं अरुंधति ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिगरी हासिल की है. उन्हें कोलंबिया ला स्कूल के
हरमन एन. फिंकेलस्टीन मैमोरियल फैलोशिप (2018-19) से भी सम्मानित किया गया.
पर्सनल जीत थी समलैंगिक संबंधों की मान्यता
मेनका गुरुस्वामी और अरुंधति काटजू ने धारा 377 (किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ अननैचुरल सैक्स को अपराध मानती है) के खिलाफ बहुत लंबी और मुश्किल जंग लड़ी. आखिरकार वे 5 जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बैंच को इस बात के लिए मनाने में कामयाब रहीं कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट में मिली यह जीत सिर्फ उन के पेशे की जीत नहीं थी बल्कि यह दोनों की पर्सनल कामयाबी भी थी. सुप्रीम कोर्ट में मिली ऐतिहासिक जीत के लगभग 1 साल बाद ऐडवोकेट मेनका और अरुंधति ने खुलासा किया है कि वे खुद भी लैस्बियन कपल हैं.
समलैंगिक विवाह को लीगल बनाने को ले कर सीनियर ऐडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने यह तर्क दिया कि सेम सैक्स मैरिज को कानूनी न बनाने से क्याक्या नुकसान हैं. उन्होंने बताया कि समलैंगिक जोड़े उन अधिकारों का लाभ नहीं उठा सकते जो विषमलैंगिक मैरिड लोगों को मिला हुआ है जैसे एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग बैंक अकाउंट, लाइफ इंश्योरैंस, मैडिकल इंश्योरैंस जैसे सामान्य अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
महिलाओं को वकालत में आने की जरूरत
गृहशोभा टीम के साथ बातचीत में अरुंधति और मेनका से जब पूछा गया कि आप अपने क्षेत्र में किसी युवा महिला को क्या सलाह देंगी? तो मेनका ने इस का जवाब देते हुए कहा कि अपने सपनों का पीछा करो. मु झे लगता है कि वकालत एक शानदार पेशा है खासतौर पर लड़कियों के लिए. भारत में एक महिला और एक महिला वकील के तौर पर आप को अपने दिल की बात सुननी होगी और कहना होगा कि आप वहां तक पहुंच जाएंगी क्योंकि आप के आसपास की हर चीज कहती है कि आप वहां तक नहीं पहुंच सकतीं. लेकिन समय बदल रहा है, चीजें बदल रही हैं और ऐसी अद्भुत युवा महिलाएं हैं जो बस अदालत में अपना हिस्सा चाहती हैं. वहीं अरुंधति ने कहा कि वकालत आप को बोलने की फ्रीडम देती है. यह दुनिया के सब से अच्छे पेशों में से एक है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को इस से जुड़ने के लिए मोटीवेट किया.
समलैंगिक विवाह के अधिकारों पर जीत हासिल करने के अलावा अरुंधति काटजू ने ट्रांसजैंडर राइट्स, हाई प्रोफाइल करप्शन केस में बड़ी जीत हासिल की है. 2017 में गुरुस्वामी औक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रोड्स हाउस में मिलनर हौल में अपनी तसवीर लगाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं.